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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

करानेवालोंको उस अधिनियमके प्रभावसे मुक्त करता है। इसके अलावा, विधेयकके अनुसार नाबालिगों और नये प्रवासियोंका ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके अधीन पंजीयन कराना अनिवार्य रखता है।

श्री रिचके अनुसार 'डेली टेलिग्राफ' के संवाददाताने लिखा था कि इसमें कोई सन्देह नहीं था कि सरकार पंजीयन अधिनियम रद करने का इरादा रखती थी...। वस्तुतः, एशियाइयोंके पंजीयकने उसे (संवाददाताको) अधिनियमकी कुछ महत्वपूर्ण धाराएँ पढ़कर सुनाई जिन्हें श्री स्मट्सने स्वीकार किया था।

अगस्त १२-१३ (?): दाउद मोहम्मद, पारसी रुस्तमजी, आँगलिया, राँदेरिया और डर्बनके अन्य नेतागण ट्रान्सवालमें अपने अधिवासके अधिकारको आजमानेके विचारसे रेल द्वारा जोहानिसबर्ग रवाना हुए।

अगस्त १३: ट्रान्सवाल विधानसभाको याचिका दी गई और यह बात दोहराई गई कि विधेयक समझौते का उल्लंघन करता है।

अगस्त १४: गांधीजीने पत्र लिखकर स्मट्ससे फिर अपील की कि समझौतेका पालन किया जाये, ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियममें मेरा सुझाया हुआ संशोधन स्वीकार किया जाये अथवा समझौता करनेके उद्देश्यसे भारतीय नेताओंसे मिला जाये। यह भी लिखा कि यदि यह न हुआ तो आगामी इतवारको प्रमाणपत्रोंकी होली जलाई जायेगी।

विरोधी दलके नेता जॉर्ज फेरारको पत्र लिखकर विस्तारपूर्वक वैधीकरण विधेयक (वैलिडेशन बिल) के बारेमें अपनी आपत्तियाँ समझाईं।

अगस्त १६: जोहानिसबर्गकी सार्वजनिक सभामें भाषण। सभाने ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमका विरोध करनेका निश्चय किया। प्रमाणपत्रोंकी होली जलाई गई।

अगस्त १८: स्मट्सके निमन्त्रणपर स्मट्स, बोथा और प्रगतिवादी दलके सदस्योंकी बैठक में भाग लेनेके लिए प्रिटोरिया गये।

सरकारने वैधीकरण विधेयकमें फेरफार करने और ट्रा० ए० पं० अ० को नाबालिग बच्चों और स्वेच्छाले पंजीयन करानेवालोंपर लागू न करनेकी रजामंदी दिखाई।

अगस्त १९: गांधीजी जेलमें सोराबजी शापुरजीसे मिले।

अगस्त २०: सरकार द्वारा प्रस्तुत वैधीकरण विधेयकके संशोधित रूपपर विचार करनेके लिए सभा। गांधीजीने लेनको पत्र लिखा कि संशोधित मसविदेमें सभाकी माँगें सम्मिलित की जायें: (१) ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम रद किया जाये, (२) शिक्षित भारतीयोंको कड़ी शैक्षणिक कसौटीके बाद उपनिवेशमें आने की अनुमति दी जाये, (३) राजनीतिक कैदी छोड़े जायें और सोराबजी शापुरजीको बहाल किया जाये। यह "अन्तिम चेतावनी" का पत्र माना गया।

अगस्त २१: ट्रान्सवाल विधानसभामें एशियाई स्वेच्छया पंजीयन वैधीकरण विधेयक प्रवर समिति (सिलेक्ट कमिटी) की सिफारिशके बाद वापस ले लिया गया। एशियाई पंजीयन