पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९
जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

छोड़ दिया है। इसपर सरकारका जितना खर्च होता है उतना एशियाइयोंके ट्रान्सवालमें रहने से कभी भी होता है ऐसा नहीं कहा जा सकता। अगर देश-निकाला देनेका अधिकार हो तो भी ऐसा कर सकना सम्भव नहीं दीखता। इसलिए उपनिवेश मन्त्रीने नेताओंको उकसाने का निश्चय किया है। वे मानते हैं कि इससे सब कुछ निपट जायेगा। एक पूरीकी-पूरी कौम दो-तीन नेताओंके हाथका खिलौना बनी हुई है, इस दलीलपर हमें यकीन नहीं है। समय ही बतायेगा कि वह बात सही है या नहीं। चीनका राजनयिक प्रतिनिधि (कॉन्सल) इस कानूनके विरुद्ध है ही, फिर भी चीनियोंने पंजीयनसे इनकार कर दिया है; इसे देखते हुए तो जनरल स्मट्सकी दलील नहीं टिक सकती। भारतीय सत्याग्रहियों की जीतका प्रभाव वतनियोंपर क्या पड़ेगा, जनरल स्मट्सको इसका डर बना हुआ है। किन्तु पहले भी एशियाइयोंके सिवा अन्य लोगोंसे सम्बन्धित कानूनमें रद्दोबदल क्यों किये गये हैं? फिर यदि अपनी परेशानी और रंजके समय वतनीलोग यह सीख लें कि ऐसेगाई और बन्दूकके अतिरिक्त सत्याग्रहका सौम्य रास्ता भी है, तो क्या बुरा है?

पाँचेफ्स्ट्रम से[१] ...[१]

पीटर्सबर्ग से...[२]

प्रिटोरिया से...[३]

मौलवी साहब अहमद मुख्त्यार

मौलवी साहबको पंजीयकने लिखा है कि यदि वे अपनी ओरसे यह विश्वास दिला दें कि अनुमतिपत्रकी अवधि समाप्त हो जानेपर वे लौट जायेंगे तो उन्हें समय दिया जायेगा। इसका उत्तर मौलवी साहबने दिया है कि पंजीयक एक बार श्री हाजी हबीबके समक्ष और दुबारा श्री नगदी तथा श्री मँगाके समक्ष हर छ: माहके बाद अवधि बढ़ा देनेके लिए वचनबद्ध हैं। इसी बूते पर उन्होंने मदरसेका काम शुरू किया है, मस्जिदका काम चालू है, और वे हमीदिया अंजुमनमें धर्मोपदेश (वाज़) कर रहे हैं, और इस कानूनके बारेमें भी धार्मिक आपत्तियाँ समझाते हैं। यह सब उनका काम है और इसे वे करते रहेंगे।

प्रिटोरियाके मुकदमे

तारीख ७ को श्री तुलसी और श्री सेठके मुकदमोंकी सुनवाई हुई थी। श्री सेठको २१ तारीख से पहले तथा श्री तुलसीको १२ तारीख से पहले ट्रान्सवाल छोड़नेका नोटिस दिया गया है।

रंगदार लोगोंकी सहानुभूति

आफ्रिकन पोलिटिकल ऑर्गेनाइज़ेशनके एक सम्मेलनमें ट्रान्सवालके भारतीयोंकी विपत्तिपर सहानुभूतिका प्रस्ताव किया गया है। इस सम्बन्धमें संघके नाम डा० अब्दुर्रहमानकी ओरसे तार आया है।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन,११-१-१९०८
  1. नाम यहाँ नहीं दिये जा रहे हैं। चौकोर कोष्ठकोमें दी गई संख्याएँ प्रत्येक नगरके कलमुँहोंकी संख्या बताती हैं।