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१५. जोहानिसबर्गका मुकदमा[१]

[ जोहानिसबर्ग
जनवरी १०, १९०८]

आज तीसरे पहर गवर्नमेंट स्क्वेयरके पूर्वी पार्श्वमें बड़ी चहलपहल दिखाई पड़ रही थी। दोपहरको भोजनकी छुट्टीके वक्त पूरे समय भारतीयोंका खासा जमाव रहा। ठीक दो बजे भारतीयोंका बड़ी संख्यामें अनवरत रूपसे आना शुरू हो गया, जिससे यह प्रकट होता था कि नेतागण आ रहे हैं। श्री गांधी पहले दिखाई दिये। बूँदाबाँदी हो रही थी। वे 'स्टार' के प्रथम संस्करणको पढ़ते हुए धीरे-धीरे चले आ रहे थे और उनके भक्तगण छाते खोले हुए उन्हें वर्षा से बचा रहे थे। स्क्वेयरकी ओर भारतीयोंका ताँता लगा हुआ था और अदालतका सार्वजनिक प्रवेश-द्वार रुद्ध हो गया था। मजिस्ट्रेट श्री जॉर्डन भीड़में से गुजरते हुए दीख पड़े। दो बजकर दस मिनटपर दरवाजेके ताले खटके और बाहर भीड़का दबाव बढ़ गया। दरवाजे खोल दिये गये और भीड़को कप्तान पॉटर, अधीक्षक वरनॉन और पुलिसके जवानोंने बढ़नेसे रोक दिया। अफसरने लोगोंको दरवाजेके सामनेसे हट जानेका आदेश दिया और बड़ा हुल्लड़ मचा। लोगोंका हुजूम पीछे हटा और जब द्वारसे कुछ लोगोंके एक-साथ निकलनेकी गुंजाइश हो गई तब लोगोंको भीतर आनेकी इजाजत दे दी गई। भारतीय धक्का-मुक्की करते रहे और दरवाजेपर खड़ी पुलिसकी परवा न करके भीतर आनेकी कोशिश करते रहे। पुलिस-आयुक्त अदालतमें था, उसने दरवाजेपर इन्तजाम बढ़ा दिया और प्रवेश-मार्गसे फिर भीड़ हटा दी गई। एक और हंगामा हुआ; पुलिसने तीन व्यक्तियोंको गिरफ्तार किया। जब जनताके लिए सुरक्षित स्थान भर गया तब अदालतमें लोगोंका आना रोक दिया गया और उसके कुछ क्षणों पश्चात् मजिस्ट्रेट इजलासमें आये।

"खामोश" की आवाज लगाई गई और मो० क० गांधी तलब किये गये।

अदालतके फाटकके आसपास घुड़सवार और पैदल पुलिसके दस्तेने घेरा बाँध लिया।

सबसे पहले श्री मो० क० गांधीकी पुकार हुई[२] । उन्होंने यह अभियोग स्वीकार कर लिया कि ४८ घंटे के अन्दर उपनिवेशसे निकल जाने सम्बन्धी अदालतके हुक्मको उन्होंने नहीं माना।

'बी' अदालतके क्लार्क श्री फ्रेड क्लेट---गवाहोंके कठघरेमें गये और उन्होंने तारीख २८ दिसम्बरको अदालतमें हुए सम्राट् बनाम गांधीके मुकदमेके कागजात पेश किये।

  1. अक्टूबर १९०८ में गांधीजीके पहली बार गिरफ्तार किये जानेपर रेवरेंड जोज़ेफ जे० डोकने लिखा था, "उधर 'बी' फौजदारी अदालतमें मुकदमा चालू; दरवाजेपर उत्तेजित एशियाइयोंकी रेल-पेल; भीड़ बाहर दूर तक फैली हुई; रुक्ष न्यायाधीश आवेशपूर्ण मुद्रामें अध्यक्षकी कुर्सीपर विराजमान; सामने नीचे कानूनी कार्यालयका वक चन्द्र।" देखिए एम० के० गांधी: ऐन इंडियन पैट्रियॉट इन साउथ आफ्रिका (मो० क० गांधी: दक्षिण आफ्रिकामें एक भारतीय देशभक्त)।
  2. 'रैंड डेली मेल' ने उक्त मुकदमेका विवरण देते हुए, जॉन फोर्तोएन, सी० एम० पिल्ले, पी० के० नायडू, एम० ईस्टन और एम० ई० कड़वाके नाम भी दिये हैं। गांधीजीके साथ इनपर भी एशियाई पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत अभियोग लगाया गया था।