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पत्र: उपनिवेश सचिवको

खानेकी आदत है या उनके भोजनमें रोटी या मैदेकी कोई चीज होती है; यह बात अधिक-तरके बारेमें सत्य है। किसी भी प्रार्थीको मकईका दलिया खानेकी आदत नहीं है। उनमें से अधिकांशको कोष्ठबद्धता है और वह कदाचित् मकईका दलिया खानेसे है। प्राथियोंमें से सात व्यक्तियोंने जेलमें आनेके बादसे जलपान नहीं किया है; इसमें अपवाद एक बारका है जब कुछ चीनी गवाहोंने उनकी दुर्दशा देखकर उन्हें एक डबलरोटी दे दी थी और वह उन्होंने आपसमें बाँट ली थी। यह बात गवर्नरके सिर्फ ध्यानमें लाई गई थी, जिसने कहा कि चीनियोंका ऐसा करना उचित नहीं था। प्राथियोंकी विनम्र सम्मतिमें ऊपर बताया गया भोजन उनके लिए बिलकुल अनुपयुक्त है। इसलिए प्रार्थी नम्रतापूर्वक प्रार्थना करते हैं कि उनके लिए मकई दलियेको छोड़कर यूरोपीय दर्जेका भोजन या कोई दूसरा ऐसा भोजन निर्धारित किया जाना चाहिए जो जीवित रहनेके लिए उपयुक्त माना जा सके और उनकी जातीय आदतों से या दक्षिण आफ्रिकामें दीर्घकाल तक निवाससे बनी आदतों से मेल खाता हो।

चूँकि यह मामला बहुत ही संकटका है, इसलिए प्रार्थी तारसे उत्तर देनेका अनुरोध करते हैं। इस प्रार्थनापत्रको लिखनेके बाद लगभग ७० और लोग आ गये हैं। उन्होंने जलपान बिलकुल नहीं किया है और जलपान करनेमें उनको तीव्र आपत्ति है।

[ आपके,
आदि, मो० क० गांधी और अन्य ]

[ अंग्रेजी से ]
इंडियन ओपिनियन, २१-३-१९०८

१८. पत्र: उपनिवेश सचिवको[१]

जोहानिसबर्ग जेल
जनवरी २८, १९०८[२]

सेवामें
माननीय उपनिवेश सचिव, ट्रान्सवाल
महोदय,

एशियाई पंजीयन संशोधन कानूनके विरोधमें प्रमुख हिस्सा लेनेवाले भारतीय और चीनी समुदायों के[३] प्रतिनिधियोंकी हैसियतसे हम सेवामें निम्न निवेदन करते हैं:

जहाँतक अँगुली-निशानीको उन एशियाइयोंकी शिनाख्तके लिए आवश्यक समझा गया है जिनकी शिनाख्त किसी अन्य तरीकेसे भली-भाँति नहीं हो सकती, हमारा विरोध कानूनकी

  1. यह पत्र तथा वह मसविदा जो कार्टराइट जेलमें गांधीजीके पास लाये थे, ११-७-१९०२ के इंडियन ओपिनियन में, प्रकाशित हुए थे। मसविदेको या तो जनरल स्मट्सने बनाया था या मंजूर किया था, देखिए दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २१ और "जोहानिसबर्ग की चिट्ठी" पृष्ठ ६५। इस पत्रके चार स्रोत हैं: प्रिटोरिया आर्काइव्ज़; कलोनियल आफिस रेकर्डस, जिसे ट्रान्सवाल सरकार द्वारा इस पत्रकी प्रति भेजी गई थी; कार्टराइटके मसविदेकी दफ्तरी प्रति जिसमें गांधीजीके कहनेपर हाथसे परिवर्तन किये गये हैं (एस० एन० ४९०७); और इंडियन ओपिनियन।
  2. किन्तु इंडियन ओपिनियनमें प्रकाशित पत्रमें तारीख २९ जनवरी, १९०८ पड़ी है।
  3. कार्टराइटके मसविदेमें केवल "भारतीय समुदाय" है।