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२०. भेंट : 'ट्रान्सवाल लीडर' को[१]

[ जोहानिसबर्ग
जनवरी ३०, १९०८]

कुछ भारतीय फेरीवालोंने, उनका खयाल है, कल सुबह एक अन्य सज्जनके साथ श्री गांधीको रेलवे स्टेशनकी ओर जाते देखा; उक्त सज्जन पुलिस थाना फोर्ड्सबर्गके हाकिम अधीक्षक वरनॉन निकले। किन्तु यह निश्चित नहीं हो सका कि साथमें श्री गांधी ही थे और उनके देखे जानेकी बात एक दिलचस्प अफवाहका आधार बन कर रह गई। दरअसल उपर्युक्त भारतीयोंका अनुमान ठीक था, क्योंकि सवा ११ बजेके करीब श्री गांधी पार्क स्टेशनके लिए रवाना हुए, जहाँसे वे अधीक्षक वरनॉनके साथ प्रिटोरिया गये। किन्तु श्री गांधीकी रिहाईपर, जो आज ही होनेवाली है, उनके साथियोंको कल रातको बड़ा अचम्भा हुआ। श्री गांधी प्रिटोरियासे १० बजे लौटे और उनसे मिलनेके लिए ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष श्री ईसप मियाँके अतिरिक्त कोई नहीं था --सारी बात इतनी खूबीके साथ छिपाकर रखी गई थी। 'लीडर' के एक प्रतिनिधिने श्री गांधीके पहुँचनेपर उनसे भेंट की। उनके सामान्य स्वास्थ्यपर इस कारावासका कोई असर दिखाई नहीं पड़ता था। वे काफी प्रसन्न थे।

जेलमें बरताव

यह पूछा जानेपर कि आपके साथ जेलमें किस प्रकारका बरताव किया गया, श्री गांधीने उत्तर दिया कि जेलके नियमोंके अन्तर्गत दी जा सकनेवाली रियायतों और मेहरबानियोंके लिए मैं और मेरे साथी कैदी गवर्नर तथा अन्य अफसरोंके प्रति बड़े ही कृतज्ञ हैं। परन्तु उन्होंने यह भी कहा कि उन नियमों और एशियाइयोंको दिये जानेवाले भोजन तथा निवासके बारेमें बहुत-कुछ कहने को है। ये एशियाई एक-आध अपवादको छोड़कर हर तरहसे व्रतनियोंके समकक्ष कर दिये गये थे। श्री गांधीने फिर भी इस परिस्थितिपर बादमें अधिक विस्तारसे प्रकाश डालना ठीक समझा।

समझौता

ज्यादा बड़े मुद्दोंके सम्बन्धमें प्रश्नोंका उत्तर देते हुए श्री गांधीने कहा:

जो समझौता हुआ है वह अधिकांशमें वही है जो पंजीयन कानूनके अन्तर्गत की जानेवाली कार्रवाई शुरू होनेके पहले प्रस्तावित किया गया था। यह समझौता उपनिवेशमें रहनेवाले ऐसे प्रत्येक एशियाईकी पूरी-पूरी शिनाख्त दे देगा जिसकी उम्र सोलह वर्षसे ऊपर होगी और जो उपनिवेशमें रहने अथवा पुनः प्रवेश पानेका अधिकारी होगा। प्रस्तावके अनुसार शिनाख्त और कानूनके बीच मुख्य अन्तर है अनिवार्यताका दंश हटा दिया जाना। समझौता एशियाइयोंको उनकी आन और जिम्मेदारीपर छोड़ देता है। और अगर मेरे देशवासी ईमानदारीके साथ उसका पालन नहीं करते तो मुझे इसमें जरा भी शक नहीं कि हमारी स्थिति कानूनके

  1. बादमें यह विवरण ८-२-१९०८ के इंडियन ओपिनियनमें छोटे-मोटे परिवर्तनों के साथ प्रकाशित हुआ था।