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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अन्तर्गत होनेवाली स्थितिसे भी बदतर होगी और यह योग्य ही होगा। परन्तु मुझे किसी प्रकारकी बाधा नहीं दिखाई देती। पिछले तीन हफ्तों में बड़े पैमानेपर जो गिरफ्तारियाँ हुई हैं, मैं समझता हूँ, उनके बारेमें एशियाइयोंको शिकायतका कोई कारण नहीं हो सकता। वह कार्रवाई कानूनके सम्बन्धमें हमारी भावनाओंकी उत्कटता और सचाईकी जाँच करनेके लिए जरूरी थी। मैं कह देना चाहता हूँ कि किलेमें बन्द हम लोगोंको एक बार फिर स्वेच्छया पंजीयनकी बात चलानेके बारेमें सरकारको दर्खास्त देनेकी अनुमति दी गई थी। और सरकारने यह कदम हमारे उस प्रार्थनापत्रके[१] उत्तरमें ही उठाया है। मेरी विनम्र सम्मतिमें सरकारने हमारी प्रार्थनाको मानकर वास्तविक शक्तिका परिचय दिया है। यहाँ मैं यह और कह देना चाहता हूँ कि जहाँतक मुझे पता है, एशियाई समुदायोंके नेतागण उपनिवेशवासियोंके इस निर्णयका वफादारीके साथ पालन करेंगे कि जो एशियाई अपने पूर्व-अधिवासके लिहाज से उपनिवेशमें प्रवेश पानेके अधिकारी नहीं हैं, आगेसे उनका आव्रजन रोका जाना चाहिए।

जेलें आज खाली हो जायेंगी

गत रात्रि 'लीडर' के एक प्रतिनिधिको पता लगा है कि जेलोंमें बन्द भारतीय, जिनकी संख्या लगभग २२० है, आज छोड़ दिये जायेंगे। जहाँतक जोहानिसबर्गका सम्बन्ध है, प्रदर्शन आदि नहीं किया जायेगा। अगले दिनोंमें एशियाइयोंके नेता अपने देशभाइयोंको नई परिस्थिति समझायेंगे। नेताओंको पूरा विश्वास है कि समझौतेका निष्ठाके साथ पालन किया जायेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
ट्रान्सवाल लीडर, ३१-१-१९०८

२१. पत्र: 'इंडियन ओपिनियन' को[२]

[ जोहानिसबर्ग
जनवरी ३०, १९०८ के बाद ]

सम्पादक
'इंडियन ओपिनियन'
महोदय,

मेरे सह-कारावासियों तथा मेरे नाम मुबारकबादीके तारपर-तार चले आ रहे हैं, क्योंकि प्रेषकोंके विचारसे भारतीय पक्षकी विजय हुई है। हम तो इसे सत्यकी ही विजय मान सकते हैं। जो भी हो, क्या मैं अपने तथा अपने साथियोंकी ओरसे आपके समाचारपत्र द्वारा मुबारकबाद सम्बन्धी तारों और पत्रोंके अगणित प्रेषकोंको उनकी कृपापूर्ण भावनाके लिए धन्यवाद दे सकता हूँ? उन सब व्यक्तियोंको पृथक् रूपसे लिखना सम्भव नहीं हो सका और मेरा विश्वास है, वे इस अनिवार्य चूकके लिए हमें क्षमा करेंगे।

  1. देखिए "पत्र: उपनिवेश सचिवको", पृष्ठ ३९-४१।
  2. इस पत्रके गुजराती रूपान्तर (पृष्ठ ५४) पर तारीख २ फरवरी १९०८ है। अनुमान है अंग्रेजी पत्र जनवरी ३०, १९०८ और फरवरी २, १९०८ के बीच लिखा गया होगा।