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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हानि नहीं देखता; क्योंकि यह छाप हमें अपनी स्वेच्छासे देनी है। कोई अनिवार्य रूपसे माँगे तो नहीं दी जा सकती। और इस विषयमें एकमत होकर काम करनेके लिए सरकारने हमें तीन महीनेकी अवधि दी है। इसलिए मैं आपके हितके लिए जो बन पड़ेगा सो करूँगा।

कानूनके मुताबिक सरकारने बच्चोंका पंजीयन अनिवार्य कर दिया था; वह भी रद हो गया है। कानूनमें उपयुक्त संशोधन करनेका प्रश्न जब प्रिटोरियामें संसद शुरू होगी तब हाथ में लिया जायेगा। फिर भी फिलहाल हमें जेलसे रिहा कर दिया है; इसलिए हमें अपना सौजन्य दिखा देता है। सरकारसे कुछ लिखित रूपमें मिलना हमारे लिए व्यर्थ है। कारण कि यह काम संसदका है और इसलिए संसद जो कुछ करेगी उसीपर निर्भर रहना है। जिस तरह लॉर्ड राबर्ट्स आदि हमें बड़ी संसदके भरोसेपर वचन देते थे उसी प्रकार उपनिवेश-सचिवने भी संसदके भरोसेपर हमें छोड़ दिया है; और जब संसद प्रारम्भ होगी तब इस कानूनसे<ref>1 हमें छुटकारा मिलेगा। अर्थात् कानून वापस लेकर प्रवासी विधेयकमें फेरफार किया जायेगा। इस तरह सरकारका अभिप्राय भी पूरा हो जायेगा और हमारे मानकी रक्षा भी हो जायेगी, तथा हम जो आजादी माँगते थे वह मिल जायेगी।

हमारी विजयका कारण तो जोहानिसबर्ग से १५०, प्रिटोरियासे २५ और अन्य स्थानोंसे लोग जेल गये, यही है। स्त्रियोंने भी अपना कर्त्तव्य पूरी तरह निबाहा है। धरनेदारोंने तो इसमें बेहद चतुराई दिखाई है; इनकी होशियारीकी तारीफ स्वयं सरकार किये बिना नहीं रह सकी। और समाजकी जबर्दस्त दृढ़ता देखकर वही सरकार ठिकानेपर आ गई है, यह पक्की बात है। ईश्वरपर भरोसा रखकर जो संघर्ष चलाया जाता है उसमें विजय अवश्य मिलती है। अँगुलियोंकी शर्त हटवानेकी आशा भी मुझे है।

हमें अपनी इस जीत से फूल नहीं जाना चाहिए। और गोरोंको सरकारके विरुद्ध कुछ नहीं कहना चाहिए। नम्रता ईश्वरको भी प्यारी है और यही मार्ग अपने सच्चे संघर्षमें विजय पानेका भी है। हमें सरकारके साथ छल नहीं करना है, बल्कि सरकार और उपनिवेशके गोरोंको अपने अच्छे व्यवहारसे यह दिखा देना है कि हम अपने मानकी रक्षा करनेवाले कानूनकी इज्जत करते हैं। यदि, कदाचित् सरकारसे लापरवाही हुई हो और उसके कारण ऐसी गुंजाइश रह गई हो जिससे बेईमानी करनेका मौका मिल सकता हो, तो वैसी गुंजाइश भी हमें खत्म कर देनी है। इससे सरकार खुद जान जायेगी कि ये लोग शरारत करनेवाले नहीं हैं। और यदि हमने अपनी भलमनसाहत के अनुसार आचरण करके सरकार तथा उपनिवेशके लोगोंपर अपनी छाप डाल दी तो राहत जरूर मिलेगी।

सरकार हमें धोखा भी नहीं दे सकती; क्योंकि हमारे पास सत्याग्रहका जबर्दस्त हथियार है। और इसी हथियार से हम सरकारको ठिकाने लाये हैं। इसके बाद सरकार जो कुछ करेगी वह हम लोगोंको साथ रखकर करेगी। जबतक हम जेलको नजरके सामने रखकर संघर्ष करते रहेंगे तबतक वह सरकारको ठिकाने लानेके लिए पर्याप्त होगा।

हम इस समय जो करते हैं सो सभी-कुछ हमें चुपचाप करना है। और यदि हममें से कोई सरकार अथवा अन्य किसीको खबर देगा तो वह पक्का देशद्रोही होगा। सरकारका जासूस बननेमें कोई लाभ नहीं है। कौमका साथ देने में लाभ है। जिन लोगोंने नये कानूनके अन्तर्गत पंजीयन कराया है वे भी यदि इस कानूनकी रूसे पंजीयन करायेंगे तो छुटकारा पा जायेंगे। हमें अपने वचनका भी पालन करना है और इस तरह अपनी सचाईका नमूना पेश