पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/८२

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२४. तार[१]: द० आ० ब्रि० भा० समितिको[२]

[ जोहानिसबर्ग ]
फरवरी १, १९०८

[ अफ्रीकालिआ[३]
लन्दन ]

समझौते में अपेक्षा है कानून रद हो; और वही जो पहलेके स्वेच्छा- प्रस्तावमें है।

[गांधी]

[अंग्रेजी से]

इंडिया ऑफिस: ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ३७२२/०८

२५. द० आ० ब्रि० भा० समितिको लिखे पत्रका एक अंश[४]

फरवरी १, १९०८

...यदि तीन मासके अन्तमें पंजीयन संतोषजनक नहीं होता तो जिन्होंने पंजीयन न कराया हो उनके खिलाफ कानून लागू किया जा सकता है। दूसरी ओर, यह गृहीत है कि यदि हम अपना इकरार पूरा कर देते हैं तो एक संशोधन-अधिनियम द्वारा कानून रद कर दिया जायेगा। जो किया जा चुका है उसे कानूनी रूप देनेके लिए संसदके आगामी सत्रमें एक विधेयक पेश किया जायेगा...।

[ अंग्रेजी से ]

इंडिया ऑफिस: जूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ३७२२/०८

  1. यह उस संक्षिप्त विवरणसे उद्धृत किया गया है, जो रिचने उपनिवेश कार्यालयको भेजा था, और बादमें छापा गया था। यह तार इंडियन ओपिनियनके ७-११-१९०८ के अंकमें प्रकाशित हुआ था।
  2. दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति (साउथ आफ्रिका ब्रिटिश इंडियन कमिटी) ।
  3. दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति
  4. ६ अक्तूबर, १९०८ को श्री रिचने उपनिवेश कार्यालयको एक पत्र भेजा था। यह अंश उसके साथ संलग्न संक्षिप्त विवरणसे उद्धृत किया गया है।