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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रयुक्त किया भी जा सके तो विजय सत्यकी हुई है। भारतीयोंने सदा ही कहा है---ठीक ही कहा है कि यह संघर्ष धार्मिक संघर्ष है। जो लोग धर्म शब्दका ऊपरी अर्थ लगाते हैं, उन्हें इस संघर्षके अन्दर कोई धार्मिकता नहीं दीख पड़ी है। लेकिन स्वयं भारतीय लोग दूसरी प्रकार से विचार करते आये हैं। उन्होंने इसे ईश्वरके नामपर शुरू किया था और अब उनका कर्तव्य है कि वे परमपिताके आगे नतमस्तक हों कि उन्हें इस अग्नि-परीक्षासे गुजरनेके लिए पर्याप्त शक्ति प्राप्त हुई।

इसके अलावा भारतीयोंके पास इस समझौतेपर गर्व करनेका कोई कारण नहीं है। किन्तु इससे उन्हें नम्रताके साथ आगे बढ़नेको प्रत्येक प्रकारका उत्तेजन अवश्य मिला है, क्योंकि एक जुदा ढंग और उच्चतर कोटिके कार्यका श्रीगणेश तो अब हुआ है। भारतीय समाज कसौटीपर चढ़ा दिया गया है, और यह उसीकी याचनापर हुआ है। बजाय इसके कि सरकार पंजीयन करानेके लिए कानूनका सहारा लेती और अवज्ञा करनेवालोंको कानूनी दण्डका भागी बनना पड़ता, भारतीयोंने सरकारको ट्रान्सवालमें रहनेका अधिकार रखनेवाले सब भारतीयोंकी शिनाख्त- सम्बन्धी प्रत्येक सुविधा देनेका वचन देकर नैतिक उत्तरदायित्व और इसी कारण एक उच्चतर कोटिका उत्तरदायित्व उठा लिया है। इसलिए अब यह रचनात्मक कार्य हो गया है। भारतीय समाजने आवश्यक विध्वंसात्मक कामको, नियमित, शान्तिपूर्ण और बिलकुल शिष्ट ढंग से चलाते रहने की योग्यता दिखा दी है, परन्तु अब उसे अपनेको ठोस और टिकाऊ रचनात्मक कार्य करनेकी क्षमता रखनेवाला सिद्ध करके दिखाना है। जब भारतीय समाज अपने-आपको अपने ऊपर रखे गये विश्वासके योग्य सिद्ध कर देगा तब वह अपनेको साधुवाद दे सकेगा और सभी विचारशील लोगोंकी निगाहमें निश्चय ही बहुत ऊँचा उठ जायेगा।

[ अंग्रेजी से ]
इंडियन ओपिनियन, ८-२-९९०८

३३. स्वेच्छया पंजीयन

हमें सूचना दी गई है कि ट्रान्सवालके सब भारतीयोंके लिए स्वेच्छया पंजीयनका, जिसे सरकार द्वारा स्वीकृत कर लिया गया है, काम जोहानिसबर्गके वॉनब्रैंडिश स्क्वेयरमें स्थित पुराने डच गिरजाघर में अगले सोमवार, ता० १० से ९ बजे, परन्तु पहले दिन दस बजे पूर्ण गाम्भीर्यके साथ शुरू हो जायेगा। दूसरी जगहोंमें पंजीयनके सम्बन्धमें यथोचित समयपर सूचना दी जायेगी। कहा गया है कि प्रिटोरिया और जोहानिसबर्गको छोड़कर, अर्जियाँ लेनेका काम विभिन्न जगहोंके मजिस्ट्रेटोंके जिम्मे रहेगा।

पंजीयन प्रमाणपत्र और प्रार्थनापत्र के फार्मोंमें उन्हें नई परिस्थितिके अनुकूल बनानेके लिए, बहुत-कुछ रद्दोबदल किया गया है। प्रत्येक बालिग मर्द भारतीयको चाहिये कि वह पंजीयनके लिए कार्यालयमें हाजिर हो। ऐसी स्थितिमें उन सबका, जो प्रमाणपत्र पानेके अधिकारी होंगे, पंजीयन किया जायेगा। मोटे तौरसे, जिन लोगोंके पास उनके नाम वैध रूपसे दिये गये अनुमतिपत्र हैं और जिनके पास पुराने डच पंजीयन प्रमाणपत्र उनकी सम्पत्तिके रूपमें हैं, उनका तथा उन सब बच्चोंका, जो १६ वर्षकी अवस्थाके पूर्व ही खुल्लमखुल्ला आ गये