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३६. रिचका महान कार्य

श्री रिचने जो सेवाएँ की हैं उनका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। फिर भी यह तो निश्चित रूपसे कह सकते हैं कि उन्होंने एवं अन्य कुछ सज्जनोंने सहायता न की होती तो हमें कभी विजय प्राप्त न होती। हमारा सुझाव है कि समाज श्री रिचके कामकी ठीक-ठीक कीमत समझे। यह उसका कर्तव्य है। इस समय श्री रिचका काम श्रीमती रिचकी रोगशय्याके पास रहना था; किन्तु उन्होंने ऐसा न करके घड़ी-भरके लिए भी पतवार नहीं छोड़ी। इस प्रकारके आत्मबलिदानकी जितनी कद्र की जाये, कम है। श्री रिच निहायत गरीब व्यक्ति हैं, इसलिए हम सबसे अच्छा रास्ता यह समझते हैं कि उन्हें कुछ-न-कुछ रकम भेंट की जाये।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, ८-२-१९०८

३७. स्वर्णाक्षरोंमें क्यों नहीं?

हमने पहले 'रसिक' के लेखपर टिप्पणी लिखते हुए यह कहा था कि जब जेल-महलसे भारतीय पुनीत होकर लौट आयेंगे और हमें विजय मिल जायेगी तब हम 'इंडियन ओपिनियन' को स्वर्णाक्षरोंमें छाप सकते हैं। अब कुछ पाठकों द्वारा सवाल पूछे जा रहे हैं। हमें लगता है कि अभी हमारी सच्ची जीत नहीं हुई। वह एक प्रकारसे तो सच्ची जरूर है, क्योंकि सत्याग्रहका पूरा पालन हुआ, जेलके दरवाजे खुले और कानून मुक्त पंजीयन करानेकी बात निश्चित हुई। और यदि हम वैसा करते हैं तो कानून रद होगा। अर्थात्, अभी दो बातें भविष्यपर निर्भर हैं। सरकारने हमारा विश्वास किया, उससे हमें फूल नहीं उठना चाहिए। जब हम उस विश्वासके योग्य साबित होंगे तभी सही जीत मिली मानी जायेगी। हमने कुदालीका काम, अर्थात्, जमीन खोदने और उसे साफ करनेका काम ठीक तरहसे किया। अब राजका, चिनाईका काम सही-सही करेंगे या नहीं, यह देखना है। कानूनके रद होनेकी कुंजी सरकारने हमें सौंप दी है। इसे जब हम लागू करें और कानून वास्तवमें रद हो जाये तभी पूरी जीत कहलायेगी। यह प्रस्तुत कार्य ही सबसे कठिन है। उसे करनेमें बड़ा परिश्रम लगेगा तथा उसके लिए बहुत धैर्य और अत्यधिक ईमानदारीकी जरूरत होगी। यह सब हम दिखायेंगे या नहीं, यह आगे चलकर मालूम होगा। कुछ भारतीय यह शंका करते हैं कि स्वेच्छया पंजीयन करा लेनेपर भी यदि सरकारने कानून रद नहीं किया तो? इस शंकाको हम व्यर्थ समझते हैं। करने लायक मुख्य शंका यह है कि यदि भारतीयोंने सचाई नहीं बरती तो? हमें स्वेच्छया पंजीयनका यह कार्य निर्धारित नियमों के अनुसार पूरा करना है। किसीको इसमें अपना स्वार्थ नहीं देखना है; बल्कि समाजका हित समझकर बड़ी तेजी से पंजीयन करवा लेना है। यही नहीं, पंजीयन केवल सही व्यक्तियोंको ही करवाना है। जरा