पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/१३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



५९. पत्र : जे० जे० डोकको

[ फोक्सरस्ट ]
बुधवार, [ अक्तूबर १४, १९०८]

प्रिय श्री डोक,

मैं आपको यह पत्र अदालतसे लिख रहा हूँ । मुझे आशा थी कि अपना फैसला होने से पहले मैं आपको कुछ[१] भेज सकूंगा । किन्तु मैं दूसरे कामों में बहुत व्यस्त रहा हूँ । शुभ-कामनाओंके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद । मेरा विश्वास केवल ईश्वरपर है । इसलिए मैं बिल्कुल प्रसन्न हूँ ।[२]

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० ४०९२) से । :सौजन्य : सी० एम० डोक ।

६०. सन्देश : भारतीय तरुणोंके नाम

[३]

[ फोक्सरस्ट अक्तूबर
१४, १९०८]

[४]

मैं नहीं जानता कि जिनसे मेरा व्यक्तिगत सम्पर्क कभी नहीं हुआ उन लोगोंके नाम सन्देश भेजनेका मुझे कोई अधिकार है या नहीं; लेकिन लोगोंकी यही इच्छा थी और मैंने उसे मान लिया है। तो, मेरे विचार ये हैं :

  1. डोक अपनी पुस्तक-मो० क० गांधी : दक्षिण आफ्रिकामें एक भारतीय देशभक्त ( एम० के० गांधी : ऐन इंडियन पेट्रियट इन साउथ आफ्रिका) के लिए सामग्री एकत्र कर रहे थे । इसलिए उन्होंने स्पष्ट ही गांधीजीके ८ तारीखके पत्रके उत्तरमें उन्हें ९ अक्तूबर को लिखा था, “यदि आप मुझे स्पिअन कपके युद्धसे आगेकी सामग्री दे तो मैं आपका आभारी हूँगा । 'कड़ी मशक्कत' से बाकी बचे वक्तमें आप प्रयत्न करें और आपको जो कुछ याद आ सके उसे क्रमशः लिख लें। यदि आप इन थोड़े-से मोहलत के दिनों में भी यह कर सके तो बहुत बड़ा काम होगा ।" देखिए परिशिष्ट ६ ।
  2. अपनी पुस्तक (पृष्ठ १५० ) में ढोकने अन्तिम दो वाक्य उद्धृत किये हैं और कहा है कि ये वाक्य १४ अक्तूबर १९०८ को गांधीजीके मुकदमेकी पेशीसे कुछ पहले लिखे गये थे ।
  3. श्री डोकने अपनी पुस्तक-मो० क० गांधी : दक्षिण आफ्रिका में एक भारतीय देशभक्त (एम० के० गांधी : ऐन इंडियन पेट्रियट इन साउथ आफ्रिका) के २० वें अध्यायमें इसे उद्धृत करते हुए लिखा है कि मैंने गांधीजीसे इस पुस्तकके लिए स्वदेशमें रहनेवाले भारतीयोंके नाम एक सन्देश लिख भेजनेका अनुरोध किया था और वह मुझे मिल भी गया ।
  4. श्री डोककी पुस्तकमें इस सन्देशकी तिथि " अक्तूबर, १९०८” रखी गई है । हो सकता है कि यह १४ अक्तूबरको, जिस दिन गांधीजीको सजा सुनाई गई थी, लिखा गया हो ।