१४३. भेंट : 'प्रिटोरिया न्यूज 'के प्रतिनिधिको
[ प्रिटोरिया
मई २४, १९०९]
...श्री गांधीने कहा कि मैं जलमें अपने साथ किये गये व्यवहारके सम्बन्धमें इस समय कोई वक्तव्य नहीं देना चाहता। मैं अबतक तीन बारमें पाँच मास तीन सप्ताहकी जेल काट चुका हूँ ।
निर्वासनकी नीति के सम्बन्धमें श्री गांधीने कहा, मुझे इस मामलेमें सावधानीसे विचार करना होगा। में नहीं समझ सकता कि ट्रान्सवालकी सरकार ब्रिटिश भारतीयोंपर अपनी सत्ता इस हद तक कैसे बनाये रख सकती है कि वह उन्हें निर्वासित करके भारत पहुँचा दे। कुछ भी हो, निर्वासनकी नीति बहुत ही मूर्खता-भरी है। वह अनावश्यकरूपसे क्रूरतापूर्ण है, और उसका नतीजा केवल यह होगा कि संघर्ष एक ऐसे देशमें चला जायेगा जहाँ सम्भव है उसका स्वरूप और भी अधिक गम्भीर हो जाये । श्री गांधीने कहा :
मुझे यह सुनकर गहरी ठेस लगती है कि सोलह सालका एक लड़का भारत निर्वासित किया जा रहा है, और उसका बाप फोक्सरस्टकी जेलमें है। यदि सरकारका यह अनुमान हो कि वह ऐसे क्रूरतापूर्ण तरीकोंको काममें लाकर भारतीयोंकी हिम्मत तोड़ सकेगी तो वह बहुत भूल करती है।[२]
इंडियन ओपिनियन, २९-५-१९०९