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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसपर अन्ततक नहीं टिक सके हैं उनकी भावनाका खयाल करके और, हो सके तो, सत्याग्रहियोंके ऊपर पड़ा हुआ बोझ हलका करनेके लिए यह शिष्टमण्डल जा रहा है। इसलिए सत्याग्रहियों को तो शिष्टमण्डलकी ओर तनिक भी नजर नहीं रखनी है। जब उनके सत्यका जोर ट्रान्सवालकी सरकारके असत्यके मुकाबले ज्यादा हो जायेगा तब सत्याग्रहियोंकी तकलीफें अपने-आप दूर हो जायेंगी। इस बातको ध्यान में रखकर सत्याग्रहियोंको जेल जाने के मौकेकी ताकमें रहना चाहिए।

मोहनदास करमचन्द गांधी

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २६-६-१९०९

१६४. स्वर्गीय श्रीमती गुलबाई

[जून २१, १९०९ के पूर्व]

भारतसे आई ताजी डाकसे यह दुःखद समाचार मिला है कि भारतके वयोवृद्ध दादाभाई नौरोजीकी धर्मपत्नी श्रीमती गुलबाईका अस्सी वर्षको अवस्थामें वरसोवामें देहावसान हो गया। माननीय दादाभाईने अपने सारे जीवनकी सहयोगिनी और सखीको खो दिया है; इसपर संसारके प्रत्येक भागमें बसे भारतीयोंको उनसे सहानुभूति हुए बगैर न रहेगी। हम स्वर्गीय आत्माकी शान्तिकी कामना करते हैं, और ईश्वरसे प्रार्थना करते हैं कि वह करोड़ों भारतीयोंके सच्चे दादा माने जानेवाले दादाभाईको वृद्धावस्थामें यह नया दुःख सहनेकी शक्तिषऔर धैर्य दे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २६-६-१९०९

१६५. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

[जून २१, १९०९ के पूर्व ]

ब्रिटिश भारतीय समझौता-समिति[१]

इस समितिका शिष्टमण्डल जनरल स्मट्ससे शनिवारको दोपहरके बारह बजे मिला। उसमें श्री अब्दुल गनी, श्री हाजी वजीर अली, श्री हबीब मोटन, श्री एस॰ वी॰ टॉमस, श्री अली खमीसा, श्री जूसब इब्राहीम गार्दी और श्री जॉर्ज गॉडफ्रे थे। जनरल स्मट्सने समितिको लगभग आधा घंटा दिया। समितिने जो माँगें की उनमें से कुछ नीचे लिखे अनुसार थीं:

काला कानून रद किया जाये, शिक्षित [भारतीयों] को उपनिवेशमें प्रवेशका अधिकार गोरोंके बराबर ही दिया जाये, [पेढ़ीमें] कई साझेदार हों तो परवाना (लाइसेंस)

  1. ब्रिटिश इंडियन कन्सिलिएशन कमिटी।