पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/३१

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१. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी' सोमवार [ अगस्त ३१, १९०८] संघर्ष किस प्रकार करें ? यदि समाचार देनेके पहले ऊपरके सवालका जवाब दे दिया जाये, तो पाठक ज्यादा समझ सकेंगे। आसपास देखने से जान पड़ता कि इस बार संघर्ष के बहुत सख्त और लम्बा होनेकी सम्भावना है। सरकार बहुत जुल्म करेगी। ऐसा नहीं लगता कि सारे भारतीय मिल- कर एक साथ शक्ति लगायेंगे । जलानेके लिए जितने प्रमाणपत्र आने चाहिए थे, उतने नहीं आये । कुल मिलाकर २,३०० प्रमाणपत्र जलाये गये हैं। यह संख्या बुरी नहीं है, किन्तु संघर्षका अन्त जल्दी लानेके खयाल से कम है। फिर, यह भी देखा गया है कि कुछ लोग पंजीयन कराने पंजीयन कार्यालय (रजिस्ट्रेशन ऑफिस ) जाते रहते हैं। जोहानिसबर्ग में गत शुक्रवारको लगभग २५ भारतीय गये । इस बातसे सरकारको यह अनुमान लगानेका अधिकार है कि बहुत-से भारतीय कानूनकी अधीनता स्वीकार कर लेंगे । फिलहाल खूनी कानूनको माननेकी बात तो नहीं बची है, फिर भी नये कानूनको न माननेपर ही हमारे शेष संघर्षकी जीत निर्भर है। नया विधेयक (बिल) अभीतक तो कानून नहीं बना है। उसपर सम्राट्के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। किन्तु हस्ताक्षर हो जानेपर भी उसका विरोध करना आवश्यक है । अब हमें यह भी मान लेना है कि जिन्होंने जलानेके लिए प्रमाणपत्र नहीं दिये, वे संघर्ष में शामिल नहीं होंगे। इसलिए संघर्ष २,३०० भारतीयोंपर आधारित रहा। यह भी मान लेना चाहिए कि इसमें से कुछ फूट जायेंगे। इसी तरह यह भी मान लेना चाहिए कि जिन्हें प्रमाणपत्र नहीं मिले हैं, वे संघर्ष में भाग लेंगे। इस प्रकार हम अनुमान कर सकते हैं कि दो हजार भारतीय जूझेंगे। उनमें से चौथा भाग तो केवल तमिल लोगोंका ही है। उन्होंने कमाल कर दिया है। इस संख्यासे निराश होने की आवश्यकता नहीं है। यदि देखें तो वास्तवम २,००० भारतीय जबरदस्त काम कर सकते हैं; किन्तु ये २,००० सच्चे योद्धा हैं, ऐसा मानना कठिन है। प्रमाणपत्रोंको जलानेका सच्चा अर्थ यह है कि उन्हें जलाने वाले भारतीय १. शीर्षकका शाब्दिक अर्थ है "संवादपत्र” । ये खरीते हर हफ्ते इंडियन ओपिनियन में "हमारे जोहानिसबर्ग संवाददाता द्वारा प्रेषित" रूपमें प्रकाशित किये जाते थे। पहला खरीता मार्च ३, १९०६ को छपा था; देखिए खण्ड ५, पृष्ठ २१५-१६ । २. एशियाई कानून संशोधन अधिनियम (एशियाटिक लो अमेंडमेंट ऐक्ट), जो ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम (ट्रान्सवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन ऐक्ट ) के नामसे भी प्रसिद्ध था । देखिए खण्ड ७, पृष्ठ १९-२५; ७५-८०; ४००-४०५ और परिशिष्ट १ । ३. ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन संशोधन अधिनियम, १९०८, (ट्रान्सवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन अमेंडमेंट ऐक्ट, १९०८); पाठके लिए देखिए परिशिष्ट १ । ९-१ Gandhi Heritage Heritage Portal