नहीं था । अँगूठेका निशान देना ही अपराध गिना गया । यह कोई छोटी-मोटी ज्यादती नहीं है । किन्तु मुझे आशा है कि ऐसे मामलोंके बाद कोई भारतीय समझौता होने तक अँगूठेकी छाप नहीं देगा ।
श्री नादिरशा कामाको सरकारने बरखास्त कर दिया है । यदि विचार करें तो यह कोई साधारण बात नहीं है । श्री कामाके मनमें ऐसी जबरदस्त धुन थी कि उन्होंने पिछली सार्वजनिक सभामें भाग लिया । इसपर सरकारने उनसे स्पष्टीकरण माँगा । श्री कामाने भाग तो लिया हो था, इसलिए उन्हें बरखास्त कर दिया गया । श्री कामाने इस बरखास्तगीको खुशी-खुशी स्वीकार किया है । इसका मुख्य कारण शिक्षितोंके लिए किया जानेवाला संघर्ष है । शिक्षितोंमें श्री कामाके इस बलिदानके बाद दस गुना जोश बढ़ना चाहिए । समाजने भी श्री कामाको बरखास्तगीके लिए उकसाया, इसलिए अब वह भी संघर्ष से पीछे हट नहीं सकता । मैं श्री कामाको बधाई देता हूँ । सरकारकी गुलामीसे उन्हें जो थोड़ा-बहुत पैसा मिलता था, उन्होंने उसकी परवाह नहीं की । यह आदर्श सबको अपनाना चाहिए ।
श्री दाउद मुहम्मद और उनके साथी निर्वासन के बाद जब चार्ल्सटाउन पहुँचे तब उन्होंने विभिन्न स्थानोंको नीचे लिखे अनुसार तार भेजा :
- ईश्वरपर पूरा भरोसा रखकर हमने कलकी रात प्रिटोरियामें कैदियोंकी कोठरीमें गुजारी,
- देर-सबेर हम ट्रान्सवालके जेल-महलमें जा पहुँचेंगे और इस तरह देशके प्रति अपने
- फर्जको कुछ हद तक अदा करेंगे । हमें आशा है कि प्रत्येक भारतीय कठिन दुःख उठाकर
- भी अपना कर्तव्य पूरा करेगा। जेल पहुँचने के पहले हम अपने भाइयों तक यह सन्देश पहुँचा रहे हैं ।
- मुझे आशा है कि प्रत्येक भारतीय इस सलाहको ध्यान में रखेगा ।
जब श्री दाउद मुहम्मद और नेटालके अन्य नेतागण फोक्सरस्ट पहुँचे, तब श्री उस्मान अहमदने निम्नलिखित तार' दिया :
- मैं आप सबको बधाई देता हूँ । ईश्वरपर भरोसा रखिए । उसकी बन्दगी कीजिए ।
- जिस खुदाने नूहको बाढ़से, मूसाको फराऊनसे, इब्राहीमको आगसे, अय्यूबको रोगसे,
- यूनुसको मछलीके पेटसे, यूसुफको कुऐँसे और पैगम्बर साहबको गुफामें से बचाया, वही
- खुदा हमारे साथ है और वह सदा इन्साफ करता है ।
यह तार बहुत उत्साहवर्धक है । मैं श्री उस्मान मुहम्मदको सलाह देता हूँ कि जैसी हिम्मत उन्होंने सेठोंको बँधाई है, वे स्वयं भी हमेशा वैसी हिम्मत रखेंगे । ऊपर जो उदाहरण
१. अर्थात्, उनका इरादा निर्वासनकी आशाका उल्लंघन करके पुन: उपनिवेशमें प्रवेश करने और इस प्रकार जेल जानेका था ।
२. इस तारके अंग्रेजी पाठके लिए देखिए इंडियन ओपिनियन, ५-९-१९०८ ।
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