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पत्र: लॉड ऍम्टहिल्को

थी, क्योंकि ऐसी चर्चाकी आवश्यकता नहीं थी। यह इसलिए कि स्वेच्छया पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) करानेकी शर्ते पूरी होनेपर १९०७ के कानून २ के रद हो जानेसे शिक्षाकी योग्यता-प्राप्त ब्रिटिश भारतीयोंका अधिकार अपने-आप फिर स्थापित हो जाता।

दूसरा सम्मेलन २० अगस्तको हुआ। उसमें कार्यकारिणी परिषद [के सदस्य], प्रगतिवादी दलके नेता, श्री कार्टराइट, श्री गांधी और श्री क्विन सम्मिलित थे। यही वह सम्मेलन था जिसके सम्बन्धमें कहा गया है कि उसमें जिन मुद्दोंपर बातचीत हुई उनमें शिक्षित भारतीयोंका प्रश्न नहीं था। जनरल बोथाने अपने ५ सितम्बर १९०८ के खरीते ५२८, पृष्ठ ४३, सी॰ डी॰ ४३२७ में इस आरोपका स्पष्ट खण्डन किया है। उसमें जनरल बोथा कहते हैं: "बहसका नवाँ विषय उन एशियाइयोंको देशमें आने देने की नई माँगका था, जो पहलेसे ट्रान्सवालके अधिवासी (डोमिसाइल) होनेका दावा नहीं करते, परन्तु जो शिक्षा सम्बन्धी कसौटीमें उत्तीर्ण हो सकते हैं।" यह इस बात को स्वीकार करना है कि इस विषयपर सम्मेलन में विचार हुआ था। परन्तु जनरल बोथाका कहना है कि वहाँ जो यह माँग उठाई गई सो नई बात थी। लेकिन, जैसा कि स्मट्स और श्री गांधीके बीच २२ फरवरी १९०८ को शुरू होनेवाले पत्र-व्यवहारसे स्पष्ट है यह भी गलत है।[१] दरअसल तथ्य यह है कि सम्मेलनका आयोजन ही इसलिए किया गया था कि जनरल स्मट्सके साथ उक्त कानूनको रद करने के बारेमें जो बातचीत चल रही थी, वह विफल हो गई थी, क्योंकि जनरल स्मट्सने एक नई शर्त लगाई थी कि शिक्षित ब्रिटिश भारतीयोंपर प्रतिबन्ध रहनेपर ही वे कानूनको रद करेंगे। इसके अतिरिक्त, [उक्त उद्धरणमें][२] ऐसी माँग थी जिसे मन्त्रिगण पहले ही न मानने योग्य ठहरा चुके थे। परन्तु यदि ऐसा न होता तो भी यह जानना कठिन है कि किस उपायसे एशियाइयोंके प्रवासका विधान करनेवाला विधेयक और सम्बद्ध धारा, इस विषयपर श्वेत उपनिवेशियोंकी लगभग सर्वत्र व्याप्त भावनाको ध्यान में रखते हुए, ट्रान्सवाल-संसदके किसी भी सदन द्वारा पास किये जा सकते हैं।" यह भी कह दिया जाये कि इस सम्मेलन में कोई समझौता नहीं हुआ था। एशियाई नेता कार्यकारिणी परिषदके सदस्यों और प्रगतिशील नेताओंसे यह स्पष्ट निर्देश पाकर चले आये थे कि वे अपनी-अपनी समितियोंके सम्मुख वे मुद्दे रखें, जिनपर सम्मेलनमें विचार किया गया है और जनरल स्मट्सको समितियोंका फैसला बता दें। तदनुसार तुरन्त ही एशियाई समितियोंकी बैठकें हुई और श्री गांधी तथा श्री क्विन दोनोंने जनरल स्मट्सको सारी कार्रवाईसे अवगत करा दिया। जिस सरकारी रिपोर्ट (ब्लू बुक) का ऊपर जिक्र है, उसमें वह पत्र पूरा नहीं दिया गया है जो जनरल स्मट्सके निजी सचिवके विशेष अनुरोध करनेपर लिखा गया था। श्री लेन (स्मट्सके निजी सचिव) को तारीख २० अगस्तको लिखे गये पत्रकी प्रारम्भिक पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:[३]

श्री कार्टराइटने मुझसे कहा है कि मैंने आजको सभाके निर्णयके बारेमें उन्हें जो-कुछ बताया है, सो में आपको लिख दूँ और साथ ही तत्सम्बन्धी अपने विचार भी व्यक्त कर दूँ।

 
  1. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ ९८-१०१।
  2. मूल प्रतिमें यहाँ कुछ शब्द गायब हैं।
  3. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ ४५६-५९।