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२०५. शिष्टमण्डलकी यात्रा [–६]

[अगस्त ७, १९०९ के पूर्व]

पिछले हफ्तेकी तरह इस हफ्ते भी मैं आपको कोई खास खबर नहीं दे सकता, क्योंकि सारी बातें गोपनीय हैं। लॉर्ड ऍम्टहिल खुद कोशिश कर रहे हैं। सुलह होनेकी कुछ आशा की जा सकती है। अगर सुलह हो गई तो भी कानूनको रद करने और शिक्षित भारतीयोंके अधिकारकी रक्षाके सिवा किसी अन्य बातका होना सम्भव नहीं दीखता। शिक्षित भारतीयोंके अधिकारका अर्थ वही समझना चाहिए, जो बहुत बार 'इंडियन ओपिनियन' में बताया जा चुका है; अर्थात् जो बहुत पढ़े-लिखे होंगे वे ही आ सकेंगे, और उनमें से भी केवल छः। यह बात ठीक है कि कानूनमें छ: का जिक्र नहीं होगा और उसी तरह उसमें गोरे और कालेका भी भेद नहीं होगा। कानून एक होगा [लेकिन भारतीयोंके मामलेमें] अमल जुदा होगा। कानून एक होगा तो अपमान नहीं होगा। कानूनमें भेद रहेगा तो अपमान होगा। इसके अलावा दूसरी फुटकर बातें समझौतेमें नहीं आ सकेंगी, यह सब भारतीयोंको याद रखना है। मुझे आशा है कि अगले हफ्ते कुछ ज्यादा समाचार दे सकूँगा।

इस विषय में सर मंचरजी भी बहुत प्रयत्न कर रहे हैं। उन्होंने जनरल स्मट्सको मुलाकातके लिए चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठीका जवाब यह आया है कि संघ (यूनियन) से सम्बन्धित कार्यों से छुटकारा मिलनेके बाद मुलाकातका वक्त तय करेंगे।

शिष्टमण्डल लॉर्ड क्रू से मंगलवार ९[१] तारीखको भेंट करेगा। उसी दिन बहुत-से भारतीय जेलसे छूटनेवाले हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ४-९-१९०९

२०६. पत्र: अमीर अलीको

[लन्दन]
अगस्त ७, १९०९

प्रिय श्री अमीर अली,

श्री अब्दुल कादिरने मुझे आपका इसी दूसरी तारीखका पत्र दिखाया है। जहाँतक ट्रान्सवालके प्रश्नका सम्बन्ध है, बातचीत अभी प्रगति कर रही है। हम निजी तौरपर लॉर्ड मॉर्लेसे मिल चुके हैं और मंगलको निजी तौरपर ही लॉर्ड क्रू से भी मिल रहे हैं। अभी यह कहना सम्भव नहीं है कि परिणाम क्या होगा। हमने एक विवरण प्रकाशित करने,

  1. मूलमें "९ तारीख" है। भेंट तारीख १० मंगलवारको तय हुई थी; देखिए "पत्र: उपनिवेश-उपमंत्रीको", पृष्ठ ३३३।