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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बीमारीके खर्चसे दब गये हैं। कहा नहीं जा सकता कि वे इस बोझसे कैसे उबरेंगे। उन्होंने बैरिस्टरी शुरू की है। उसमें उन्होंने कुछ नाम भी कमाया है और कुछ महत्त्वपूर्ण मुकदमे जीते हैं। लेकिन यहाँ नये बैरिस्टरकी कमाई ज्यादा नहीं होती। मेरी सलाह है कि भारतीय उनको सहानुभूतिके पत्र लिखें। उनका पता यह है: श्री एल॰ डब्ल्यू॰ रिच, ५, पम्प कोर्ट, टेम्पल, ई॰ सी॰ लन्दन। मुझे आशा है कि श्रीमती रिच आखिर खाटसे उठ खड़ी होंगी।

स्त्रियोंके मताधिकारके लिए आन्दोलन करनेवाली महिलाएँ

मताधिकारके लिए आन्दोलन करनेवाली स्त्रियाँ बहुत परिश्रम कर रही हैं। मैं उनकी परिश्रमशीलता, संगठन-पटुता और कष्ट-सहिष्णुता ज्यों-ज्यों देखता जाता हूँ त्यों-त्यों मुझे लगता है कि उनके कामके मुकाबले हमारा काम कुछ भी नहीं है। उनके पास स्वयंसेवक बहुत हैं। वे यहाँ मन्त्रियोंकी सभाओंमें जबरदस्ती घुसकर गिरफ्तार हो जाती हैं और जेल जाती हैं। जेलमें जाकर खाना बिल्कुल नहीं खातीं। इससे अधिकारी उनको रिहा कर देते हैं। वे अधिकारियोंको तरह-तरहसे परेशान करती हैं और यह प्रतिज्ञा कर चुकी हैं कि उनको जबतक मताधिकार नहीं दिया जाता तबतक वे चैनसे बिलकुल नहीं बैठेंगी।

दक्षिण आफ्रिकी संघ

दक्षिण आफ्रिकी संघ विधेयक (यूनियन बिल) ब्रिटेनकी लॉर्ड सभामें स्वीकृत हो चुका है। अब वह कुछ दिनोंमें लोकसभामें आ जायेगा । श्री श्राइनर अभीतक प्रयत्न कर रहे हैं; लेकिन मुझे दिखाई नहीं देता कि कुछ लाभ होगा। चर्चा खूब हुई है। लाभ हो या न हो, किन्तु श्री श्राइनरकी सावधानी, परिश्रमशीलता और परोपकार-भावना सब बहुत प्रशंसनीय हैं।

श्री धींगरा

श्री वींगराको फाँसीकी सजा हुई है। उन्हें १० तारीखको फाँसी दी जानेवाली है। कुछ अंग्रेज ऐसा प्रयत्न कर रहे हैं कि उनको फाँसी न हो । उनका तर्क यह है कि श्री धींगराने यह कार्य अज्ञानवश किया है। इसके अलावा, वे यह भी कहते हैं कि वह कार्य करनेमें उनका कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं था; इसलिए उस हत्याको सामान्य प्रकारकी हत्या न मानना चाहिए। 'इंडियन सोशियॉलॉजिस्ट' पत्रके अंग्रेज मुद्रकको तत्सम्बन्धी अंक छापनेपर चार मासकी कैदकी सजा मिली है। यह अंग्रेज बहुत गरीब आदमी है; और बहुत नुकसानमें पड़ गया है। उसको तो अपने पत्रमें प्रकाशित लेखोंका कुछ ज्ञान ही नहीं था। लेकिन कानूनमें बचावके लिए अज्ञानकी दलील स्वीकार नहीं की जाती।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ४-९-१९०९