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पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

विपरीत बात सिद्ध होती है और यह भी कि ब्रिटिश भारतीयोंके विरोधका बल अभीतक कम नहीं हुआ है।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स २९१/१४२ और टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ५०६०) से।

२५६. पत्र: लॉर्ड मॉर्लेके निजी सचिवको

[लन्दन]
सितम्बर १०, १९०९

महोदय,

आपका ८ तारीखका पत्र मिला। मैं लॉर्ड मॉर्लेकी जानकारीके लिए लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको लिखे अपने पत्रकी प्रतिलिपि इसके साथमें भेज रहा हूँ।[१]

आपका विश्वस्त,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ५०५९) से।

२५७. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
सितम्बर १०, १९०९

लार्ड महोदय,

कल रात जोहानिसबर्गसे निम्न तार आया था:

मजिस्ट्रेटने वरनॉनको अदालतमें यह कहनेपर फटकारा कि एशियाइयोंको देशसे खदेड़ देना गोरोंका कर्तव्य है। 'लीडर' 'स्टार' में कड़ी आलोचना।

श्री वरनॉन, जिनका तारमें उल्लेख है, सुपरिटेंडेंट वरनॉन हैं। उन्हें मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूँ। उन्होंने अनाक्रामक प्रतिरोधके दौरान ब्रिटिश भारतीयोंको असीम कष्ट दिया है। मैं जानता हूँ कि मजिस्ट्रेट न्याय-अधिकारीके रूपमें जितनी छूट दे सकता है, प्राय: उन्हें उससे अधिक छूट देता था। लेकिन स्पष्ट है कि वह भी उन्हें एशियाइयों के विरुद्ध गोरोंको अबाध रूपसे भड़काते रहने नहीं दे सका। इस मामलेसे अवश्य ही सनसनी फैली होगी, इसलिए 'ट्रान्सवाल लीडर' और 'जोहानिसबर्ग स्टार' को कड़ी आलोचना करनी पड़ी। मैं तारकी नकल उपनिवेश कार्यालयको भेज रहा हूँ।[२]

  1. देखिए पिछला शीर्षक।
  2. देखिए "पत्र: लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको", पृष्ठ ३९८।