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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

श्री नायडू, श्री गॉडफे, श्री व्यास, श्री उमरजी साले, श्री आदम मूसाजी, श्री कुनके और अन्य सज्जन उपस्थित थे । चन्दा इकट्ठा करने के लिए दौरा करनेका निश्चय किया गया और बहुत-से लोगों के नाम लिखे गये । श्री रिचको १०० पौंड भेजनेका निश्चय किया गया । श्री गांधीने फिलहाल अपना वकालतका धन्धा बन्द कर रखा है, इसलिए उन्होंने संघके कार्यालयका किराया चुकाने और श्री पोलकका खर्च देनेकी तथा 'इंडियन ओपिनियन' में अधिक छपाईसे जो घाटा होता है उसको पूरा करनेके लिए, जबतक संघर्ष चले तबतक, प्रति मास १० पौंड व्यय करनेकी अनुमति माँगी । इस प्रश्नपर सोमवारको निर्णय नहीं हो सका; इसलिए इसपर विचार स्थगित कर दिया गया ।

नेटालके सज्जनोंके जेल जानेका समाचार मिलते ही मंगलवारको तुरन्त समितिकी दूसरी बैठक हुई । उसमें श्री ईसप मियाँ उपस्थित थे । पिछली बैठकमें भाग लेने वाले बहुत-से सज्जन भी उपस्थित थे । नेटालके सज्जनोंका सम्मान करनेके लिए गुरुवारको ४ बजे सार्वजनिक सभा करने तथा सारी दूकानें और कारोबार बन्द रखनेका निर्णय किया गया । विलायत, भारत, जंजीबार, अदन इत्यादि स्थानोंको तार भेजनेका भी निश्चय किया गया ।

श्री ईसप मियाँको हज करने जाना है, इसलिए उन्होंने [संघ के अध्यक्ष-पदसे] इस्तीफा देनेकी सूचना दी । किन्तु वे फिलहाल तो सार्वजनिक सभाकी अन्तिम बार अध्यक्षता करेंगे ही ।

बैठकमें उनके बाद श्री अहमद मुहम्मद काछलियाको अध्यक्ष पद सौंपनेका प्रस्ताव पास किया गया ।

इस विषयमें अभी अधिक कहने की गुंजाइश नहीं है । श्री ईसप मियाँने समाजकी जो सेवा की है, उसका पार नहीं है । बहुत-कुछ उनके साहसपर चल रहा है । समाज उन्हें जितना मान दे, कम ही माना जायेगा । वे छ: तारीखको स्टीमर से हजके लिए रवाना होंगे । आशा है, समाज उसके पहले ही [ उनके प्रति ] अपना कर्तव्य पूरा करेगा ।

श्री काछलियाको जो पद मिला है, वह महान है । निस्सन्देह उन्होंने समाजकी बहुत सेवा की है, वे लोकप्रिय भी हैं और जेल भी जा चुके हैं । इसलिए उनमें पूरी योग्यता है । अध्यक्ष-पद स्वीकार करनेका उनका कोई विचार नहीं था, किन्तु बहुत आग्रह करनेसे उन्होंने उसको स्वीकार कर लिया । श्री इब्राहीम कुवाड़ियाका नाम भी पेश किया गया था, किन्तु उन्होंने श्री काछलियाको अधिक पसन्द किया और कहा कि श्री काछलिया समाजकी अधिक सेवा कर सकेंगे ।

श्री काछलियाका उत्तरदायित्व बहुत बड़ा है । नौका मँझधारमें है, उसकी पतवार हाथ में लेना कोई मामूली बात नहीं है । किन्तु ईश्वरपर भरोसा रखकर चलेंगे तो वे स्वीकृत पदको सँभाल ले जायेंगे ।

श्री ईसप मियाँ तथा श्री काछलियाके विषय में अगले सप्ताह विशेष रूपसे लिखनेको आशा करता हूँ ।

स्वयंसेवक

श्री गांधीका वकालतका काम लगभग बन्द हो जाने के कारण श्री मुहम्मद खाँ व्यापारमें जुट गये हैं और श्री जेम्स डोरासामीने संघका काम अवैतनिक रूपसे करनेके लिए कार्यालय आना आरम्भ कर दिया है । मुझे आशा है कि श्री डोरासामीकी तरह अन्य स्वयं-

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