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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विचारको मानते तो हैं, किन्तु उसके अनुसार चलते नहीं हैं । हम उसी हद तक दुःखी हैं और दुःख भोगते हैं, जिस हद तक हमने आत्माको नहीं पहचाना है ।

स्टैंडर्टनका परवाना

स्टैंडर्टनके भारतीय व्यापारियोंसे परवाना-अधिकारियोंने पूछा है कि उन्होंने अंगूठोंके निशान देनेसे क्यों इनकार किया है । समितिने उसका जवाब देते हुए कहा है :

(१) अँगूठोंके निशान खूनी कानूनकी रूसे माँगे जा रहे हैं, इसलिए भारतीय अँगूठोंके निशान नहीं देते ।
(२) कानून खूनी है, क्योंकि उससे धार्मिक भावनाको चोट पहुँचती है और वह भारतीयोंकी हीनताकी निशानी है ।
(३) कानूनके बाहर अँगूठोंके निशान देने हों, तो भी जो लोग हस्ताक्षर कर सकते हैं, वे परवाने के सम्बन्ध में अँगूठोंके निशान नहीं देंगे । यदि हस्ताक्षर करना आता हो और फिर भी अँगूठेके निशान दें तो अँगूठेका निशान देना चमड़ीका अपमान माना जायेगा । हस्ताक्षरके बदले अँगूठेका निशान देना और हस्ताक्षर कर सकने के बावजूद अँगूठेका निशान देना, इन दोनों बातों में अन्तर है ।

शामको तीन बजे

अभी-अभी फोक्सरस्टसे तार मिला है कि [नेटालके] तीन सेठों तथा श्री रांदेरियाको तीन-तीन महीनेकी सख्त कैदकी सजा दी गई है । शेष ग्यारह व्यक्तियोंको छः-छः सप्ताहकी जेल दी गई है । इन सबको भी सजा सख्त दी गई है । इस समाचारसे मुझे प्रसन्नता भी होती है और रुलाई भी आती है। प्रसन्नता इसलिए होती है कि भारतीयोंपर जितना अधिक जुल्म होगा, वे [अन्त में ] उतने ही सुखी होंगे और मुक्ति उतनी ही जल्दी मिलेगी । रुलाई इसलिए आती है कि ऐसे कष्ट बुजुर्ग भारतीयोंको झेलने पड़ रहे हैं ।

और कैदी

श्री सुलेमान हसन नामक एक फेरीवालेको ऋगर्सडॉर्प में बिना परवाने के फेरी लगानेके अपराधम पाँच शिलिंग जुर्मानेकी अथवा एक दिनकी कैदकी सजा दी गई है। उन्होंने जेल जाना पसन्द किया है ।

श्री अली ईसपजी बिना अनुमतिपत्र (परमिट) के उपनिवेशमें रहने के अपराध में गिरफ्तार किये गये हैं । उनका मुकदमा ११ तारीखको चलेगा ।

क्रिश्चियानाम श्री इब्राहीम लिमदाको' दूकान चलाने के अपराध में १५ पौंड जुर्माने अथवा ६ हफ्तेको कैदको और श्री कासिम इब्राहीमको फेरी लगाने के अपराध में तीन पौंड जुर्माने अथवा ६ सप्ताहको कैदको सजा दी गई । दोनों ही नर-रत्नोंने जेल जाना पसन्द किया। दोनोंकी सजा सादी कैदकी है ।

ब्रिटिश भारतीय संघकी समितिकी बैठक

सोमवारको ब्रिटिश भारतीय संघकी समितिकी एक विशेष बैठक हुई । श्री ईसप मियाँ गैरहाजिर थे, इसलिए श्री कुवाड़ियाने अध्यक्षता की । श्री फैन्सी, इमाम साहब, श्री चेट्टियार,

१. मूलमें, "लिमबादी " हैं ।

२. ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन कमिटी ।

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