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२७१. लन्दन

[सितम्बर १८, १९०९ से पूर्व]

नेटालका शिष्टमण्डल

नेटालके सज्जनोंने अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके नेता बैरिस्टर अली इमामसे मुलाकात की। इमाम साहबने मदद देनेका वादा किया है। अगले हफ्ते वे ट्रान्सवालके सम्बन्धमें भी कैफियत सुनेंगे। न्यायमूर्ति अमीर अली जलवायु परिवर्तनके लिए गये थे; वे अब वापस आ गये हैं। उन्होंने भी पूरी मदद करनेका वचन दिया है। शिष्टमण्डलने लॉर्ड क्रू से जो उत्तर माँगा था वह मिल गया है। उसमें लॉर्ड क्रू कहते हैं:

जो कष्ट वर्तमान कानूनके अमलसे उत्पन्न होते हैं या जो कष्ट वर्तमान कानूनमें परिवर्तन करनेसे ही दूर हो सकते हैं, उनके सम्बन्धमें ब्रिटिश सरकार नेटाल सरकारसे सिर्फ सिफारिश कर सकती है। वह उनके सम्बन्धमें पूरा हस्तक्षेप नहीं कर सकती। लेकिन यदि नये कानूनमें कोई ऐसी बात हो तो उसको नामंजूर करनेका हक ब्रिटिश सरकारको हासिल है। नेटालमें भारतीयोंपर जो कष्ट आते हैं उनके सम्बन्धमें ब्रिटिश सरकारकी सहानुभूति भारतीयोंके साथ है। बड़ी-बड़ी शिकायतोंके सम्बन्धमें, जैसे विक्रेता-परवाना अधिनियम (डीलर्स लाइसेंसेज ऐक्ट) में अपीलका हक न होनेके सम्बन्धमें, वह नेटाल सरकारको लिख भी चुकी है। इसके अलावा [भारतीयोंके] व्यापारको हानि पहुँचानेवाला जो कानून मंजूर किया गया है, उसपर दस्तखत करनेसे साम्राज्य सरकारने इनकार कर दिया है। अब भविष्यके सम्बन्धमें साम्राज्य सरकार आशा करती है कि संघ-संसद (यूनियन पार्लियामेंट), जिसको भारतीयों और दूसरे काले लोगोंके सम्बन्धमें कानून बनानेका अधिकार दिया गया है, ज्यादा उदारता दिखायेगी और भारतीयोंको राहत मिलेगी।

यह उत्तर अत्यन्त निराशाजनक है। इसमें अब फिर नेटाल सरकारको लिखनेका वचन नहीं दिया गया है। संघ-संसदके हाथमें सिर्फ लोगोंपर लागू होनेवाले कानून बनानेका विषय रहता है; किन्तु चूँकि विक्रेता-परवाना अधिनियम (डीलर्स लाइसेंसेज़ ऐक्ट) नामके लिए सब- पर लागू होता है, इसलिए उसमें नेटालकी संसद ही बहुत-कुछ परिवर्तन कर सकती है। अतः संघ-संसदकी कार्रवाईका लालच व्यर्थ है। फिर भारतीयोंको गिरमिटके अन्तर्गत भेजना बन्द करनेकी माँगके सम्बन्धमें कुछ भी उत्तर नहीं दिया गया है। इससे शिष्टमण्डलने लॉर्ड क्रू से फिर उत्तर माँगनेका विचार किया है। इस सम्बन्धमें ऊपर लिखे अनुसार पत्र[१] भी तैयार किया गया है। अब शिष्टमण्डल सर मंचरजी और न्यायमूर्ति अमीर अली आदि सज्जनोंकी सलाह लेकर उस जवाबको भेज देगा।

रमजान शरीफ शुरू होनेसे श्री हाजी हबीब और अन्य सज्जन रोजे रख रहे हैं। वे सब हालमें डॉक्टर अब्दुर्रहमानकी बहनके घर रहने चले गये हैं। इस प्रकार उनके लिए रमजान मनानेकी पूरी सुविधा है।

  1. देखिए परिशिष्ट २६।