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शिष्टमण्डलकी यात्रा [–१३]


लॉर्ड कर्ज़न बनाम लॉर्ड किचनर

"दरिया में लगी आग बुझा कौन सकेगा?"[१] लॉर्ड कर्ज़न और लॉर्ड किचनरके बीच ऐसी ही स्थिति हो गई है। एक व्यक्तिने यह खोज निकाला है कि लॉर्ड कर्ज़नने भारतसे रवाना होते समय जैसा भाषण दिया था वैसा ही भाषण, लगभग उन्हीं शब्दोंमें, लॉर्ड किचनरने दिया। इससे सभी अनुमान करते हैं कि लॉर्ड किचनरने लॉर्ड कर्जनके विचारों की चोरी की है। इस सम्बन्धमें अखबारोंमें बहुत चर्चा चल रही है। अगर बड़े कहे जानेवाले लोग चोरी करें तो फिर छोटे लोगोंका क्या कहना?

स्त्रियोंके मताधिकारका आन्दोलन करनेवाली महिलाएँ

मताधिकारका आन्दोलन करनेवाली अंग्रेज स्त्रियाँ अधीर हो गई हैं। उनमें से कुछने प्रधान मन्त्रीपर अनुचित आक्रमण किया, इसलिए वे गिरफ्तार कर ली गई। उनपर मुकदमा चलाया गया और उनको सजाएँ दे दी गई। जेलमें उन्होंने खाना खानेसे इनकार कर दिया। ऐसा करनेमें उनका हेतु यह था कि उनको जेलसे छोड़ दिया जाये। किन्तु अधिकारी सेरपर सवासेर निकले और उन्होंने उनके पेटमें जबर्दस्ती भोजन पहुँचा दिया है। भारतीय सत्याग्रहियोंको इससे सीखना यह है कि ये स्त्रियाँ सत्याग्रही नहीं हैं, बल्कि अपना शरीर-बल आजमाने लगी हैं। वे अब पिछड़ जायेंगी, इसमें सन्देह नहीं है।

[गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २३-१०-१९०९

२७९. शिष्टमण्डलकी यात्रा [–१३]

[सितम्बर २५, १९०९के पूर्व]

लॉर्ड क्रू के पाससे अभी कोई विशेष उत्तर नहीं मिला। सम्भावना यह है कि उनका उत्तर असन्तोषजनक आयेगा। यह मान लेनेका कोई कारण नहीं है कि जनरल स्मट्स आनन-फानन कह देंगे कि मैं लॉर्ड क्रू की सलाह मान लूँगा। किन्तु मैं इतना जानता हूँ कि यदि जनरल स्मट्स यह सलाह नहीं मानेंगे तो इसमें दोष हमारा ही माना जायेगा। इस हफ्ते में इससे ज्यादा नहीं लिख सकता।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २३-१०-१९०९
 
  1. यह उद्धरण हिन्दीमें ही है।