पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/४७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२८०. तार: ब्रिटिश भारतीय संघको

[लन्दन]
सितम्बर २७, १९०९

बिआस,
जोहानिसबर्ग

हाजी हबीबको तार मिला है कि तुरन्त लौटो । उनके लोगोंसे पूरी पूछताछ कर उत्तर दें।

गांधीजी के स्वाक्षरों में अंग्रेजी मसविदेकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०९८) से।

२८१. पत्र: अमीर अलीको

[लन्दन]
सितम्बर २७, १९०९

प्रिय श्री अमीर अली,

आपके पत्रके[१] लिए धन्यवाद। आपने जिस पत्रका मसविदा भेजा है, उसकी मैंने एक साफ नकल तैयार कर ली है। इसपर आज दस्तखत हो जायेंगे। श्री आंगलिया इसे लेकर आपके द्वारा दिये गये समयपर कल आपसे मिलेंगे।

उपमन्त्रीको जो पत्र[२] भेजा गया है उसमें उल्लिखित मामलेके तथ्य संक्षेपमें ये हैं:

नेटालकी राजधानी पीटरमैरित्सबर्गमें मसजिदके लिए एक मौलवीकी जरूरत थी। मौलवीको मसजिदके मदरसेमें मुरिसका काम भी करना था। पुराना मौलवी जानेवाला था। उसकी जगह ये नये मौलवी आनेवाले थे। नेटालके कानूनके अनुसार जो व्यक्ति उपनिवेशमें आना चाहता है उसे कोई एक यूरोपीय भाषा आनी चाहिए। लेकिन इस मौलवीको कोई यूरोपीय भाषा नहीं आती थी; इसलिए मसजिदकी जमातने अर्जी दी कि सरकार मौलवीको प्रवासीका यानी स्थायी निवासीका हक न दे बल्कि उसे ऐसा प्रमाणपत्र दे दे जिसके अनुसार वह उपनिवेशमें तीन साल रह सके। अर्जदारोंने यह जमानत देनेका वादा किया कि मौलवी जबतक रहेगा, कोई व्यापार न करेगा और मीयाद खत्म होते ही नेटालसे चला जायेगा। बहुत इन्तजारके बाद सरकारने उत्तर दिया कि यह अनुमति दे दी जायेगी, लेकिन इस

  1. २६ सितम्बरके इस पत्र में लिखा था: "मसविदोंके लिए धन्यवाद। उपनिवेश-उपमन्त्रीको लिखे पत्र में जिस मामलेका आपने उल्लेख किया है, उसका पूरा विवरण वापसी डाकसे भेजनेकी कृपा करें अगर श्री आंगलिया मंगलवार को दोपहरके साढ़े तीन बजे रिफॉर्म क्लब आ जायें तो मुझे उनसे मिलकर प्रसन्नता होगी। मैं एक मसविदा वापस कर रहा हूँ। इसे टाइप करवा कर प्रतिनिधियोंसे हस्ताक्षर करवायें और कृपापूर्वक मुझे भेज दें।"
  2. देखिए "पत्र: उपनिवेश-उपमन्त्रीको", पृष्ठ ४२४-२५।