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लन्दन

सर मंचरजी, श्री पॉल, श्री परीख और अन्य लोग भी थे। कुमारी जोशी और श्रीमती दुबे भी आई थीं। श्री गांधी के भाषणका सार यह था कि आत्मबल शरीर-बलसे बहुत ऊँचा और अजेय है। उन्होंने उसके सम्बन्धमें पूछे गये बहुत-से सवालों के जवाब भी दिये। उन्होंने ट्रान्सवालका प्रश्न भी उठाया, और हमारे कष्टोंकी कथा सुनकर सभी लोग प्रभावित हुए। श्री पॉलने भी भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि आत्मबलके पीछे शरीर-बल होना चाहिए। श्री गांधीने कहा कि वह बल आत्मबल कहा ही नहीं जायेगा। सभामें श्रीमती टेडमन, श्रीमती पोलक और श्री रिच भी बोले।

स्त्रियोंके मताधिकारके लिए आन्दोलन करनेवाली
महिलाओंका जलसा

तारीख ७ को स्थानीय अल्बर्ट हॉल नामक विशाल भवनमें स्त्रियोंके मताधिकारके लिए आन्दोलन करनेवाली महिलाओं (सफेजेट्स) का बहुत बड़ा जलसा हुआ। उसमें सैकड़ों स्त्रियाँ आई थीं। श्रीमती पैंकहर्स्ट आदिने भाषण दिये। सभामें उत्साह इतना था कि लड़ाई चलानेके लिए ३,००० पौंड वहीं इकट्ठे हो गये। चार व्यक्तियोंने ढाई-ढाई सौ पौंड दिये। इन स्त्रियोंने अबतक ५१,००० पौंड इकट्ठे कर लिये हैं। उनके अखबारका प्रचार प्रति सप्ताह ५०,००० प्रतियों तक है। उन्हें देखनेंसे ऐसा लगता था कि वे मरते दम तक लड़ेंगी। वे शरीर-बलका उपयोग करती हैं। हम इसे छोड़ दें तो उनका बल, उनका उत्साह और उनका चातुर्य, ये सब गुण अनुकरणीय हैं। उनकी जैसी व्यवस्था पुरुष भी नहीं कर सकते। हम कह सकते हैं कि उनके पास स्वयंसेविकाओंकी एक बहुत बड़ी सेना है। उनकी युक्तियाँ असीम हैं। वे बहुत कष्ट सहती हैं। मताधिकार प्राप्त करनेके प्रयत्नमें उनमें से बहुत-सी महिलाएँ गरीब हो गई हैं। बहुत-सी स्त्रियोंने अपनी नौकरियाँ छोड़ दी हैं। यह लड़ाई कोई मामूली लड़ाई नहीं है। भारतीय उनके चरण-चिह्नोंपर चलें तो काफी है। किन्तु हमें उनके शरीर-बलका अनुकरण नहीं करना है। यह समझ लेना चाहिए कि शरीर-बलसे कोई लाभ न होगा।

मेरी आशा

श्री आमद भायात यह सब देखकर यहाँसे जा रहे हैं। वे समझ गये हैं कि ट्रान्सवालकी लड़ाईसे नेटालको भी लाभ पहुँचा है। उन्होंने यह भी देख लिया है कि यहाँ आवेदनपत्र देनेसे यहाँके लोगोंको भी न्याय नहीं मिलता। आवेदनपत्रका कोई महत्व नहीं है, यह सब समझते हैं। इसीलिए आशा करता हूँ कि श्री आमद भायात वहाँ पहुँचकर सत्याग्रहका आश्रय लेंगे। उन्होंने ट्रान्सवालके सत्याग्रहमें सहायता देनेका वचन तो दिया ही है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ६-११-१९०९