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३१६. पत्र: लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको

[लन्दन]
अक्तूबर २२, १९०९

महोदय,

नीचेका तार जोहानिसबर्गसे अभी-अभी मिला है:

अस्वात सहित इक्कीस गिरफ्तार। थम्बी तीन मासके लिए जेल भेजे गये। सोराबजी, जोशी, मेढको निर्वासन-आज्ञा।

श्री अस्वात मुसलमान और ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन) के उपाध्यक्ष हैं और अब तीसरी बार जेल गये हैं। श्री थम्बी तमिल समाजके नेता थम्बी नायडू हैं और अब पाँचवीं या छठी बार जेल गये हैं। जो तीन दूसरे व्यक्ति निर्वासित किये गये हैं, उनमें से एक पारसी और दो हिन्दू हैं। वे सब सुसंस्कृत और सुशिक्षित ब्रिटिश भारतीय हैं। उनमें से दोने जूलू-विद्रोहके[१] समय बनाये गये डोलीवाहक दलमें सार्जेंटकी हैसियतसे काम किया था।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स : २९१/१४२; और टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१४१) से।

३१७. पत्रः एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

[लन्दन]
अक्तूबर २२, १९०९

प्रिय हेनरी,

इस हफ्ते में विस्तारके साथ नहीं लिखूँगा। आप विभिन्न पत्रोंकी प्रतिलिपियाँ देखेंगे, जिनसे प्रकट हो जाता है कि मुझे अब भी प्रतीक्षा करनी है।

अगले हफ्ते श्रीमती रिचका दूसरा भारी ऑपरेशन होगा। रिच अब यहाँ लगभग जम ही गये हैं, सम्भवतः सदैवके लिए।

श्री डोककी पुस्तक अब भी नहीं मिल सकती। बेचारे कूपर समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें। उनके मुद्रक जेलमें हैं, इसलिए उनकी पत्नी अपने वादेको पूरा नहीं कर सकी है। मेरा खयाल है कि अगले हफ्ते में पुस्तक जरूर मिल जायेगी।

  1. सन् १९०६ में; देखिए खण्ड ५, पृष्ठ ३८०-८३।