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३३६. पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

[लन्दन]
नवम्बर ५, १९०९

प्रिय हेनरी,

यद्यपि मुझे बहुत कुछ कहना है तथापि आज मैं आपको एक छोटा-सा पत्र ही लिख सकता हूँ। लॉर्ड क्रू के पत्र और मेरे उत्तरकी प्रतिलिपि आपको साथ मिलेगी। उत्तर अभी लॉर्ड क्रू को दिया नहीं गया है, क्योंकि वह स्वीकृतिके लिए लॉर्ड ऍम्टहिलको भेजा गया है [१]

विवरण[२] अब वितरित किया जा रहा है। मैं आपको 'टाइम्स' के साहित्य परिशिष्टके साथ पार्सलसे उसकी एक प्रति भेज रहा हूँ और आशा है कि विवरणके साथ जो पत्र भेजा जायेगा उसकी भी एक प्रति भेज सकूँगा। इससे अबतक का ब्योरा पूरा हो जाता है। लॉर्ड क्रू का पत्र समयपर आ गया है; इसलिए कांग्रेस अपने कर्तव्यका पालन कर सकती है। हम आशा करें कि वह ऐसा करेगी।

हम १३ नवम्बरको रवाना होंगे। गत शनिवारको मैंने इंडियन यूनियन सोसायटीकी एक सभामें भाषण दिया।[३] अब प्रत्येक भारतीयको स्थिति बतानेके लिए ये सब बातें आवश्यक हैं। इस सभाका विवरण शायद 'इंडिया' के स्तम्भोंमें छपे। जैसा कि संलग्न कार्डसे मालूम होगा, मंगलवारको यहाँ नौजवान भारतीयोंकी एक सभा यह विचार करनेके लिए हुई थी कि वे क्या कर सकते हैं। उसमें श्री आंगलिया, श्री हाजी हबीब और मैं बोला।[४] मैंने उनके सामने यह विचार रखा कि विद्यार्थी और अन्य आवासी भारतीय प्रचार-कार्यके लिए नियमित रूपसे जितना समय दे सकें, उतना समय दें; वे यहाँके हजारों लोगोंसे एक स्मरणपत्रपर हस्ताक्षर करायें और संघर्षको चालू रखनेके लिए जितना वे देना चाहें, उनसे उतना चन्दा लें। मैं आपको स्मरणपत्रका मसविदा भेज रहा हूँ।[५] कार्यक्रम और स्मरणपत्रके मसविदेपर विचार करनेके लिए कल एक सभा होनेवाली है। यदि सम्भव हो तो एक साप्ताहिक बुलेटिन भी प्रकाशित करनेका विचार है, जिसमें भारत और दक्षिण आफ्रिकाकी स्थितिका सार दिया जाये। परन्तु इस पत्रिकाके सम्बन्धमें स्पष्ट कठिनाइयाँ हैं। मेरी सम्मतिमें इस पत्रिकाके लिए रुपया भारतसे नहीं लिया जा सकता। यह स्वावलम्बी होनी चाहिए और यदि कुछ घाटा हो तो उसे अंग्रेजोंको पूरा करना चाहिए, क्योंकि मेरी मान्यता है कि अनेक दृष्टियोंसे इस कामको हाथमें लेना उनका कर्तव्य है। परन्तु हमें एक ऐसा आदमी चाहिए, जो काफी योग्य हो और जो इस कार्यमें अपना पूरा ध्यान लगा सके। रिच इस समय यह काम नहीं कर सकते।

  1. देखिए पिछला शीर्षक।
  2. यह १६ जुलाई, १९०९ का छपा हुआ विवरण था, जो अबतक वितरित नहीं किया गया था। यह एक परिचय पत्रके साथ प्रकाशित किया गया था। देखिए अगला शीर्षक।
  3. देखिए "भाषण: न्यू रिफॉर्म क्लबमें", पृष्ठ ५१५।
  4. देखिए "भाषण: भारतीयोंकी सभा", पृष्ठ ५१६।
  5. देखिए "पत्र: ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंको", पृष्ठ ५२५-२६।