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पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

इसलिए यह देखना है कि बुलेटिन निकल सकता है या नहीं। यदि छगनलाल यहाँ समयपर आ गया तो बुलेटिन निकलनेकी सम्भावना है। समितिका कार्य जारी रहेगा। मेरा खयाल है, आप रिचके साथ नियमित रूपसे पत्रव्यवहार करते रहेंगे।

मैं आपको इसके साथ लॉर्ड ऍम्टहिलके नाम लिखे अपने पत्रकी एक प्रतिलिपि भेज रहा हूँ।[१] यह सर्वथा गोपनीय है, परन्तु आपको पूरी स्थिति तो मालूम होनी ही चाहिए। मैं चाहता हूँ कि आप इस पत्रको पढ़नेके बाद फाड़ डालें। मैं एक नकल डॉक्टर मेहताको भेज रहा हूँ, और उनसे भी ऐसी ही प्रार्थना कर रहा हूँ। इस पत्रकी भी नकल उनको भेज रहा हूँ, ताकि मुझे इसी बातके बारेमें फिर न लिखना पड़े। यदि स्वयंसेवक यहाँ अपना कर्तव्य निभायें और भारतमें पर्याप्त प्रयत्न किया जाये तो इस कार्यके पूरा न होनेका कोई कारण नहीं है। हाँ, यह शर्त तो है ही कि हम ट्रान्सवालके लोग दृढ़ रहें। यह एक विचित्र संयोग है कि लॉर्ड क्रू के पत्रके साथ ही ट्रान्सवालसे समाचार मिला है कि हरिलाल सकुशल जेल पहुँच गया! भी उसके पास जा पहुँचनेके लिए छटपटा रहा हूँ।

आपका वह तार मिल गया, जिसमें आपने मेरे पिछले तारके अन्तिम शब्दको दुहरानेके लिए कहा है। मैं इसे कल भेजूँगा, शायद कुछ और भी लिख सकूँगा। अन्तिम शब्द था "निर्याक्टक"। इसका अर्थ है १३ नवम्बर। यह ए॰ बी॰ सी॰ कोडके पाँचवें संस्करण में आया है।

मैं इतवारको कैम्ब्रिजमें इंडियन मजलिसकी एक सभामें भाषण दूँगा।[२]

स्वयंसेवकों की सूचीसे आपको मालूम हो जायेगा[३] कि सैली और मॉड दोनों सहायताके लिए तैयार हैं। माताजी और पिताजी भी कल आ रहे हैं। मैं नहीं जानता कि वे क्या करेंगे। निश्चय ही यदि चाहें तो वे भी सेवा कार्य कर सकते हैं। परन्तु मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो सकेगा। कुमारी विटरबॉटम उसमें तन-मनसे लग गई हैं।

श्री डोककी पुस्तककी समालोचना 'एडिनबरा ईवनिंग न्यूज़' में करीब २० पंक्तियों में की गई है। 'टाइम्स' ने केवल चार पंक्तियोंमें इसकी प्राप्ति स्वीकार की है। मेरे खयालसे अभी कहीं अन्यत्र इसकी समालोचना नहीं हुई है। श्री मायरने इसी १२ तारीख, शुक्रवारको, एक सभा हमें विदाई देने और स्थितिके सम्बन्धमें मेरे विचार सुननेके लिए बुलाई है। इसमें लगभग ६० व्यक्ति चायपर बुलाये गये हैं।[४]

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ५१६२) से।

 
  1. देखिए "पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको", पृष्ठ ५१२-५१४।
  2. इस भाषणकी कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।
  3. देखिए "शिष्टमण्डलकी आखिरी चिट्ठी", पृष्ठ ५२९।
  4. देखिए, "भाषण: विदाईकी-सभामें", पृष्ठ ५४५-५५०।