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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इसके साथ मैं आपको अपने जीवनके सम्बन्धमें एक मित्र द्वारा लिखित पुस्तककी[१] एक प्रति भेज रहा हूँ। ये मित्र अंग्रेज हैं और इस समय दक्षिण आफ्रिकामें रह रहे हैं। पुस्तक मेरे जीवनके उस पहलूपर है, जिसका वर्तमान संघर्षसे बहुत गहरा सम्बन्ध है—उस संघर्षसे, जिसे मैंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। चूँकि मैं उसमें आपकी सक्रिय रुचि और सहानुभूतिके लिए आतुर हूँ, मैंने ऐसा माना है कि आपको यह पुस्तक भेज देना अनुचित न होगा।

मेरी रायमें ट्रान्सवालमें भारतीयोंका यह संघर्ष आधुनिक युगका सबसे महान् संघर्ष है। कारण, उसमें साध्य और उस साध्यकी प्राप्तिके लिए स्वीकृत साधन—दोनोंको आदर्श बनानेका प्रयत्न किया गया है। मैं ऐसे किसी दूसरे संघर्षको नहीं जानता जिसमें संघर्षकारियोंको संघर्षके अन्तमें कोई वैयक्तिक लाभ न हो और जिसमें उससे प्रभावित व्यक्तियोंमें से ५० प्रतिशतने सिर्फ एक सिद्धान्तके लिए कठिन कष्ट और संकट झेले हों। इस लड़ाईको मैं जितनी प्रसिद्धि देना चाहता था उतनी नहीं दे पाया हूँ। आज आपकी बात पढ़ने और सुननेवालोंकी संख्या दुनियामें कदाचित् सबसे ज्यादा है। यदि आपको श्री डोककी पुस्तकमें दिये गये तथ्योंसे सन्तोष हो और आप यह समझते हों कि मैंने जो परिणाम निकाले हैं वे तथ्योंकी दृष्टिसे उचित ठहरते हैं, तो क्या मैं आपसे, जिस तरह भी आप ठीक समझें इस आन्दोलनको लोकप्रिय बनानेके लिए अपने प्रभावका उपयोग करनेका अनुरोध कर सकता हूँ? यदि यह आन्दोलन सफल होता है तो वह न सिर्फ अधर्म, असत्य और विद्वेषपर धर्म, सत्य और प्रेमकी विजय होगी, बल्कि बहुत सम्भव है कि वह भारतके लाखों-करोड़ों निवासियों और दुनियाके दूसरे हिस्सोंमें बसनेवाले पददलित लोगोंके लिए एक अनुकरणीय उदाहरण होगा और हिंसाकी नीतिमें विश्वास करनेवाले दलोंका बल तोड़नेमें, कमसे-कम भारतमें, तो वह अवश्य ही बहुत सहायक सिद्ध होगा। यदि हम अपने प्रयत्नमें अन्ततक डटे रहते हैं, और मेरा खयाल है कि हम डटे रहेंगे, तो उसकी अन्तिम सफलताके विषयमें मुझे तनिक भी सन्देह नहीं है; और आपने जो रास्ता सुझाया है, उसमें आपके प्रोत्साहनसे हमारे अपने निश्चयको और अधिक बल मिलेगा।

प्रश्नके समाधानके लिए जो समझौता-वार्ता चल रही थी वह लगभग विफल हो गई है और मैं अपने साथीके साथ इसी सप्ताह में दक्षिण आफ्रिका चला जाऊँगा; और वहाँ जेल जानेकी कोशिश करूँगा। मैं यह भी बता दूँ कि सौभाग्यसे मेरा लड़का भी इस संघर्ष में मेरा साथ दे रहा है; वह आजकल छ: माहकी सख्त कैदकी सजा भोग रहा है। इस संघर्षके दौरान यह उसकी चौथी जेल यात्रा है।

यदि आप इस पत्रका उत्तर देनेकी कृपा करें तो पत्र बॉक्स ६५/२२, जोहानिसबर्ग, द॰ आ॰ के पतेपर भेजें।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

'महात्मा', खण्ड १, में दिये गये मूल अंग्रेजी की और टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१७३) से

  1. डोक-लिखित गांधीजीकी जीवनी-एम॰ के॰ गांधी: एन इंडियन पेट्रियट इन साउथ आफ्रिका।