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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
प्रशंसा करते हुए दूसरे भी प्रस्ताव पास। उनकी जरूरतें पूरी करनेके लिए चन्दा इकट्ठा करनेके लिए समिति बनाई जा रही है। बहुत रोष, उत्साह दिखाया गया।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स, २९१/१४२; और टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१७४) से।

३४८. भेंट: 'डेली एक्सप्रेस' के प्रतिनिधिको[१]

[लन्दन
नवम्बर १०, १९०९]

आपत्तिजनक एशियाई कानूनको रद कर देनेकी बात कहकर जनरल स्मट्स एक कदम आगे बढ़े थे। उन्होंने यह भी कहा था कि जहाँतक इस कानूनके अन्तर्गत शिक्षित भारतीयोंके दर्जेका प्रश्न है, वे एक सीमित संख्या में भारतीयोंको स्थायी निवासके प्रमाणपत्र देनेको तैयार हैं। बात जहाँतक पहुँची है वहाँतक तो सन्तोषजनक है; लेकिन हम जिस एकमात्र सिद्धान्तके लिए लड़ रहे हैं, उसे तो यह स्पर्श भी नहीं करता। वह सिद्धान्त है प्रवासके सम्बन्धमें कानूनी समानताके अधिकारका। जनरल स्मट्स जो-कुछ देनेके लिए तैयार हैं, वह हमारा सत्याग्रह रोकनेके लिए अपर्याप्त है। श्री हाजी हबीब और मैं फौरन ही जोहानिसबर्ग वापस जा रहे हैं। अगला कदम शायद यह होगा कि हम दोनोंको ट्रान्सवालकी सीमापर गिरफ्तार कर लिया जायेगा, लेकिन लड़ाई उसी उत्साहसे चलती रहेगी। अबतक हम लोगोंने भारतसे या दक्षिण आफ्रिकाके बाहरके किसी स्थानसे चन्दा नहीं माँगा। लेकिन अब चन्दा माँगना आवश्यक हो गया है, क्योंकि अब हमारे साधनोंपर बहुत बोझ पड़ रहा है और उन बर्बाद परिवारोंकी संख्या बहुत बढ़ गई है, जिनका भरण-पोषण हमें करना पड़ता है। हमने भारतीय और अंग्रेज स्वयंसेवकोंका एक दल तैयार किया है। यह दल हमारे इस देशसे जाते ही लन्दन और बाहरी प्रान्तोंमें घर-घर जाकर एक स्मरणपत्रके लिए लोगोंसे हस्ताक्षर लेना शुरू कर देगा। यह स्मरणपत्र ट्रान्सवाल और लन्दनके अधिकारियोंके नाम भेजा जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडिया, १२-११-१९०९
 
  1. भेंटका यह विवरण १०-११-१९०९ के डेली एक्सप्रेसमें छपा था और बादमें इंडियामें उद्धृत किया गया था।