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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दण्ड

१५. जो भी व्यक्ति

(क) पंजीयनकी अर्जीके हेतुसे या उसके सिलसिलेमें या पंजीयनका प्रमाणपत्र पानेके लिए किसी भी तरहका छलपूर्ण कार्य करेगा या झूठा बयान देगा या झूठा बहाना बनायेगा;
(ख) इस अधिनियमकी अनुसूचीमें बताये हुए नमूनेके अनुसार कोई जाली दस्तावेज बनायेगा या इस अधिनियमके आरम्भ होनेसे पहले ऐसे जाली दस्तावेजकी रचना कर चुका है या जाली पंजीयन प्रमाणपत्र बनायेगा या यह जानते हुए भी कि अमुक दस्तावेज या प्रमाणपत्र जाली हैं उनका उल्लेख करेगा;
(ग) ऐसे किसी जाली दस्तावेज या ऐसे किसी प्रमाणपत्रका जिसका वह वैध धारक नहीं है पंजीयनके प्रमाणपत्र के रूप में उपयोग करेगा या उपयोग करने की कोशिश करेगा;

वह अपराधका दोषी होगा और उसपर पाँच सौ पौंड तक का जुर्माना किया सकेगा, और जुर्माना न देनेपर उसे दो साल तक की सख्त या सादी कैदकी सजा दी जा सकेगी या जुर्माना और कैदकी सजा दोनों एक साथ दी जा सकेंगी; और जो भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्तिको ऐसा अपराध करनेको उकसायेगा, या उसमें मदद करेगा, या हिमायत करेगा वह [भी] समान दण्डका भागी होगा।

अस्थायी अनुमतिपत्र

१६. सन् १९०७ के प्रवासी-प्रतिबन्धकमें या इस अधिनियममें जो भी कहा गया है उसके बावजूद गवर्नर ऐसा अनुमतिपत्र देने की अनुमति सकता है, जो विनिमय द्वारा निर्धारित नमूनेके अनुरूप हो। उससे किसी भी एशियाईको उपनिवेशमें प्रवेश करने और अनुमतिपत्र में उल्लिखित अवधितक रहनेका अधिकार मिल जायेगा; उस अवधिके बीत जानेपर वह व्यक्ति जिसके नाम वह अनुमतिपत्र दिया गया था ऐसा व्यक्ति माना जायेगा जिसे इस उपनिवेश में रहनेका समुचित अधिकार नहीं हैं; यदि वह [उक्त अवधिके बाद यहाँ] पाया गया तो उसे बिना वारंटके गिरफ्तार किया जा सकेगा; और प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियमके खण्ड ६ या उसके किसी संशोधनके उपबन्ध उसपर इसी तरह लागू होंगे मानो वह उसके अनुच्छेद (ग) में उल्लिखित व्यक्ति है।

गवर्नरके अधिकार

१७. गवर्नर समय-समयपर निम्नलिखित उद्देश्यों में से किसी भी उद्देश्य के लिए विनियम (रेग्युलेशन्स) बना सकता है, बदल सकता है या रद कर सकता है:

(१) इस अधिनियमके उद्देश्योंके लिए रखे जानेवाले रजिस्टरका रूप निर्धारित करना।
(२) पंजीयनकी अर्जी देनेकी रीति और उसका रूप, और इस अर्जीके सिलसिलेमें या उसके उद्देश्यसे अर्जेदारको जिन बातोंका ब्योरा देना होगा या शिनाख्त के जो साधन प्रस्तुत करने होंगे—उन्हें निर्धारित

करना।

(३) पंजीयन प्रमाणपत्रका रूप निर्धारित करना।
(४) (क) खण्ड ९ में उल्लिखित माँग की जाये तब किसी एशियाईको; [और]

(ख) पंजीयन प्रमाणपत्र खो जाने या नष्ट हो जानेपर नयेके लिए अर्जी देनेवाले किसी एशियाईको जिन बातोंका ब्योरा देना होगा या शिनाख्तके जो साधन प्रस्तुत करने होंगे, उन्हें निर्धारित करना।

(५) खण्ड ६ में उल्लिखित मजिस्ट्रेटको की गई अपीलोंके सम्बन्धमें पालन की जानेवाली कार्यविधि निर्धारित करना।
(६) खण्ड १६ के अन्तर्गत दिये जानेवाले अनुमतिपत्रका रूप निर्धारित करना।
(७)सामान्य तौरपर इस अधिनियमके लक्ष्यों और उद्देश्योंका ज्यादा अच्छा सम्पादन करनेके लिए।