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१०. भाषण : सार्वजनिक सभामे

[ जोहानिसबर्ग

सितम्बर १०, १९०८]

श्री गांधीने अपने संक्षिप्त भाषण में फोक्सरस्टके भारतीयों द्वारा सभाके समर्थनमें भेजे गये एक तारका जिक्र किया । इस तारमें यह समाचार दिया गया था कि उनके नेता सार्वजनिक सड़कोंपर पत्थर तोड़ रहे हैं और जेलमें भोजनके लिए जो कच्चा मांस दिया जाता है, उसे खाने से इनकार कर रहे हैं । श्री गांधीने कहा कि जो काम अपमानजनक प्रतीत होता है वह उनकी समझमें वस्तुतः सम्मानजनक है। ( करतल- ध्वनि) । जिस कारण ये लोग तकलीफें सह रहे हैं उससे उन्हें अपने देशभाइयोंपर गर्व होता है । लेकिन यह शर्म की बात है कि हमारी सरकार इस ढंगसे काम करती है । यह स्थानीय सरकार या ब्रिटिश सरकार के लिए कोई श्रेयकी बात नहीं है और न भारत सरकारके लिए ही कोई श्रेयकी बात है कि जो लोग उसकी सीमा छोड़कर आये हैं, उनकी रक्षा करनेमें वह सर्वथा लाचार है । इसके अलावा, बॉक्सबर्ग से प्राप्त एक तारमें सूचित किया गया है कि एक फेरीवालेको बिना परवाना (लाइसेंस) व्यापार करनेपर छः सप्ताहकी सख्त कैदको सजा दी गई है। भविष्यमें कमसे-कम सजा छः सप्ताहको कैदकी हुआ करेगी । श्री सोराबजी ने कहा कि वे बारह महीने की सख्त कैद की सजा भोगने को तैयार हैं । किन्तु जो लोग जेलके बाहर हैं, उनके सख्त रवैयेपर ही यह निर्भर करता है कि जेलके भीतर लोग कितने समय तक रहेंगे । (करतल ध्वनि)

[अंग्रेजी से]
इंडियन ओपिनियन, १९-९-१९०८

१. यह सभा ब्रिटिश भारतीय संघ के तत्वावधान में सत्याग्रहियों के प्रति सहानुभूति प्रकट करनेके लिए आयोजित को गई थी । सभामें सैकड़ों भारतीय उपस्थित थे । अध्यक्षता श्री ईस मियाँने की थी ।

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