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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

(सितम्बर १९०८—नवम्बर १९०९)

सितम्बर २: एशियाई पंजीयन संशोधन अधिनियम (एशियाटिक्स रजिस्ट्रेशन अमेंडमेंट ऐक्ट) सरकारी 'गज़ट' में प्रकाशित।
सितम्बर ५: गांधीजीने 'इंडियन ओपिनियन' में कर्नल सीलीके जुलाई ३१ को संसदमें दिये गये इस वक्तव्यकी प्रशंसा की कि जिन्हें उपनिवेशोंमें रहनेका हक है उन्हें गोरोंके बराबर अधिकार दिये जाने चाहिए और पूर्ण नागरिक माना जाना चाहिए। थम्बी नायडू, नादिरशा कामा और अन्य व्याक्तियोंने हलफिया बयान देकर कहा कि ट्रान्सवालके अधिकारियोंने इस बातका वचन दिया था कि यदि भारतीय व्यापारी स्वेच्छापूर्वक पंजीयन कराना स्वीकार कर लेंगे, तो एशियाई पंजीयन अधिनियम रद कर दिया जायेगा।
सितम्बर ७: गांधीजीने वकालत बन्द कर दी थी, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन) की एक सभामें पोलकके खर्च, ब्रि॰ भा॰ संघ-कार्यालय के किराये और 'इंडियन ओपिनियन' का घाटा पूरा करनेके लिए आर्थिक सहायता की माँग की।
गांधीजी चन्दा करनेके लिए प्रिटोरिया रवाना हुए।
सितम्बर ९: दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति (साउथ आफ्रिका ब्रिटिश इंडियन कमिटी) को तार द्वारा यह सूचना दी कि अवतक १७५ भारतीय जेल जा चुके हैं। उसमें यह आशा व्यक्त की गई है कि लॉर्ड ऍस्टहिल और अन्य सज्जन राहत दिलानेका प्रयत्न करेंगे।
'स्टार' के प्रतिनिधिसे भेंट में कहा कि भारतीय अपने ही घरोंमें अजनवी बने हुए हैं। उन्हें कानूनी समानता दी जानी चाहिए।
ब्रिटिश भारतीय संघने उपनिवेश मन्त्रीको १९०७ के कानून २ के रद किये जाने और शिक्षित भारतीयोंको उचित दर्जा दिये जानेके लिए अर्जी दी।
एच॰ एस॰ एल॰ पोलक और ए० एम॰ ऐंड्रज ने हलफिया बयान देकर कहा कि अधिकारियोंने पंजीयन अधिनियम (रजिस्ट्रेशन कानून) रद करनेका वचन दिया था। ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन) ने गांधीजीकी आर्थिक जिम्मेदारियाँ अपने ऊपर ले लीं। उनका अपना खर्च तो कैलेनबैक सम्भाले हुए ही थे।
सितम्बर १०: गांधीजीने जोहानिसबर्गकी सार्वजनिक सभामें भाषण दिया। काछलिया ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष हुए।
सितम्बर १२ के पूर्व: गांधीजीने जोहानिसबर्गकी अदालतमें रौंदेरीकी पैरवी की।
सितम्बर १३: कोंकणी और कानमिया समुदायके मतभेदोंको दूर करानेके लिए बुलाई गई सभाकी अध्यक्षता की।