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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
सितम्बर १४: ट्रान्सवालके पठानों और पंजाबियोंकी ओरसे उपनिवेश-मन्त्रीको भेजनेके लिए एक प्रार्थनापत्रका मसविदा तैयार किया जिसमें एशियाई कानूनको रद करनेकी माँग की। भूतपूर्व भारतीय सिपाहियोंने उपनिवेश-मन्त्रीसे प्रार्थना की कि एशियाई कानून रद किया जाये।
सितम्बर १५: वली बगस और उन अन्य व्यक्तियोंकी प्रिटोरिया अदालतमें पैरवी की जिनपर बिना पंसारी परवानों (ग्रॉसर्स लाइसेन्स) के व्यापार करनेका आरोप लगाया गया था।
सितम्बर १६: रायटरके प्रतिनिधिसे भेंटमें भारतीयोंके लिए कानूनी समानतापर जोर दिया। जेल-निदेशक (डायरेक्टर ऑफ प्रिजन्स) ने ब्रिटिश भारतीय संघको सूचित किया कि स्वास्थ्य अधिकारीकी रायमें कैदियोंको दिया जानेवाला भोजन पूरी तरह स्वास्थ्यप्रद है और सिर्फ रोगियोंके लिए ही उसे बदला जा सकता है।
सितम्बर १७: ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन) ने जेल-निदेशकको सूचित किया कि यदि भोजनमें सुधार नहीं किया गया, तो उसका यह अर्थ माना जायेगा कि भारतीय समाजको भूखों मारकर कानूनके आगे झुकनेके लिए बाध्य किया जा रहा है।
हरिलाल गांधीको ट्रान्सवालसे देश-निकाला दिया गया।
शैक्षणिक जाँचके सम्बन्धमें स्पष्टीकरण देते हुए गांधीजीने 'स्टार' को लिखा और उसमें स्मट्सपर पंजीयन अधिनियम (रजिस्ट्रेशन ऐक्ट) के रद करनेके वचनका भंग करनेके सम्बन्धमें आरोप लगाया।
सितम्बर १८: इस आशयके समाचार मिले कि नये एशियाई कानूनको शाही मंजूरी मिल गई है, और दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति (साउथ आफ्रिका ब्रिटिश इंडियन कमिटी) ने लॉर्ड ऍम्टहिलको ट्रान्सवालके भारतीयोंकी शिकायतोंको साम्राज्यीय सरकारके सामने पेश करनेका अधिकार देनेका निर्णय किया है।
ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन) ने भारतीय कैदियोंके भोजनमें जानवरोंकी चरबी दी जानेका विरोध किया और माँग की कि उन्हें फिरसे घी देना शुरू किया जाये।
सितम्बर १९: भारतीय और चीनी नेताओंके साथ गांधीजी हॉस्केनसे मिले और उन्हें समझौतेकी शर्तोंसे अवगत कराया।
गांधीजीने 'इंडियन ओपिनियन' में लिखकर नेटालके भारतीयोंसे आग्रह किया कि वे नेटाल सरकारके उस विधेयक (बिल) का विरोध करें जिसका मन्शा नगरपालिकाओं द्वारा कतिपय परवाने (लाइसेंस) दिये जानेपर प्रतिबन्ध लगाना था।
ब्रिटिश भारतीय संघने जेल-निदेशक (डायरेक्टर ऑफ प्रिजन्स) का ध्यान बॉक्सबर्ग जेलमें सैयद अलीके ऊपर किये गये अत्याचारोंकी ओर आकर्षित किया और जाँचकी माँग की।
लॉर्ड ऍम्टहिलने 'टाइम्स' में लिखा कि वैधीकरण कानून (वैलिडेशन ऐक्ट) से समझौता भंग हो गया है और भारतीयोंपर पंजीयन कानूनके अपमान फिरसे लाद दिये गये हैं। ब्रिटिश भारतीय संघकी कलकत्ता स्थित शाखाने उपनिवेश मन्त्रीको तार दिया कि साम्राज्य सरकार ट्रान्सवालके भारतीयोंकी रक्षा करे।