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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
नवम्बर ६: ट्रान्सवालके भारतीयोंसे सहानुभूति रखनेवाले अंग्रेजोंकी एक सभामें गये।
विदा लेते हुए उपनिवेश कार्यालयको पत्र लिखकर आशा व्यक्त की कि ट्रान्सवालके प्रवासी कानूनोंसे रंगभेदपर आधारित प्रतिबन्धोंको हटवानेके लिए लॉर्ड क्रू अब भी अपने प्रभावका उपयोग करेंगे।
नवम्बर ७: टोंगाटमें आयोजित भारतीयोंकी एक सभामें निर्णय हुआ कि गिरमिटिया मजदूरोंका नेटाल भेजना रुकवाने के लिए एक शिष्टमण्डल भारत भेजा जाये।
नवम्बर ९: गांधीजीने रायटरके प्रतिनिधिको भेंट दी । 'टाइम्स' ने लिखा कि ट्रान्सवालके एशियाई कानूनोंसे सम्बन्धित वार्ता विफल हो गई है।
उपनिवेश कार्यालयने एक कार्य विवरणमें लिखा: "हम कानूनकी दृष्टिमें समानताके उनके [गांधीजीके] दावेके औचित्यसे इनकार नहीं कर सकते। यह एक बुनियादी सिद्धान्त है।"
नवम्बर १०: 'डेली एक्सप्रेस' के प्रतिनिधिको भेंट देते हुए गांधीजीने कहा कि सत्याग्रह आन्दोलन "पूरे जोरसे" जारी रहेगा।
टॉल्स्टॉयके पत्रकी प्राप्ति सूचित करते हुए उन्हें एक चिट्ठी लिखी; डोक-लिखित अपनी जीवनीकी एक प्रति भी भेजी।
पोलकसे प्राप्त वह तार लॉर्ड क्रू को भेजा, जिसमें ट्रान्सवालके भारतीयोंकी सहानुभूतिमें होनेवाली सभाका संक्षिप्त विवरण दिया गया था।
नवम्बर ११: 'डेली टेलीग्राफ' को एक पत्र लिखकर ब्रिटेनके समाचारपत्रोंसे अनुरोध किया कि वे ट्रान्सवालके संघर्षका समर्थन करें।
गोखलेको पत्र लिखकर दक्षिण आफ्रिका आने और संघर्षमें भाग लेनेका निमन्त्रण दिया। उपनिवेश कार्यालयको पत्र लिखा कि ट्रान्सवालकी जेलोंकी दशाके खिलाफ की गई शिकायतें बहुत हद तक सच हैं।
नवम्बर १२: अपना "वक्तव्य" भारतीय समाचारपत्रों में प्रकाशनार्थ भेजा।
रेवरेंड मायर द्वारा आयोजित विदाई-सभामें भाषण दिया। सभामें अन्य लोगोंके अलावा डॉ॰ रदरफोर्ड, सर रेमंड वेस्ट, सर फ्रेड्रिक लेली, सर मंचरजी भावनगरी, मोतीलाल नेहरू और रिच भी उपस्थित थे।
नवम्बर १३ : 'एस॰ एस॰ किल्डोनान कैंसिल' नामक जहाजसे गांधीजी और हाजी हबीब इंग्लैंडसे दक्षिण आफ्रिकाके लिए रवाना।
'इंडियन ओपिनियन' में समाचार छपा कि ट्रान्सवालसे निर्वासित करके भारत भेजे जानेवाले प्रवासी भारतीयोंकी सहायताके लिए भारतमें चन्दा करनेके लिए एक प्रभावशाली समिति बनाई गई है जिसके सदस्योंमें सर फीरोजशाह मेहता, गोपाल कृष्ण गोखले, मुहम्मद अली जिन्ना, और जे॰ बी॰ पेटिट भी हैं।