पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
एक करुण पत्र

" कानूनके कष्टोंसे पीड़ित एक गरीब भारतीय" नामसे एक भारतीय" लिखता है :

अब यदि किसी तरह इस कानूनसम्बन्धी समस्याका हल निकल आये तो हम जैसे-तैसे भारत पहुँच जायें, अन्यथा मृतप्राय ही हैं। वर्तमान स्थिति में अधिक कष्ट मध्यमवर्गीयोंको है । बड़े-बड़े व्यापारियोंको, जो पूँजीवाले हैं, उधार मिलना अभी बन्द नहीं हुआ है, किन्तु [ मध्यमवर्गके व्यापारियोंकों] जो गोरे पहले दो-चार सौका माल मँगा देते थे, वे अब पाँच शिलिंगका माल देनेसे भी इनकार कर देते हैं । वे कहते हैं कि जबतक कानूनके सम्बन्ध में समझौता नहीं हो जाता तबतक वे हमारे साथ व्यापार बन्द रखेंगे । ऐसी हालत में यदि हम गरीबोंके हितके खयालसे किसी प्रकारका समझौता हो जाये, तो हमें जीवित रहने का अवसर मिले। कृपया कुछ ऐसा उपाय करें जिससे हमें और अधिक कष्ट सहन न करने पड़ें ।

इस पत्र - प्रेषकसे सहानुभूति हुए बिना नहीं रह सकती । फिर भी हमें कहना चाहिए कि ऐसा लिखना भूल है । यह मानना बिलकुल गलत है कि पूँजीदारोंकी कोई हानि नहीं है । बड़ोंकी बड़ी हानि हुई है और छोटोंकी छोटी । इसी प्रकार [ इस संघर्षके ] हर भारतीय सैनिकको हानि उठानी पड़ी है। यदि गोरे माल नहीं देते, तो [ लोग उनके पास न जायें; ] उनके कोई सुर्खाबके पर तो लगे नहीं हैं। हमें गोरोंके द्वारा खड़े किये गये अड़ंगोंके मुकाबलेके लिए तैयार रहना ही चाहिए । देशके लिए पैसेका नुकसान उठाने में दुःख नहीं मानना चाहिए । किन्तु इतना कहने के बाद मैं स्वीकार करता हूँ कि ऊपरके पत्रमें जो विचार व्यक्त किया गया है, वह बहुत-से भारतीयोंका विचार है । संघर्ष इसी बातको ध्यान में रखकर चलाया जा रहा है । समाज जितना बोझ उठा सकता है, नेता उसपर उतना ही बोझ डालनेकी तजवीज करते हैं । ऐसा सोचकर किसी भी भारतीयको हिम्मत नहीं हारनी चाहिए ।

क्रूगर्सडॉर्प

क्रूगर्सडॉर्पके फेरीवालोंके विषयमें समाचारपत्रोंमें यह खबर प्रकाशित हुई है कि वे फेरी लगाने के लिए नहीं निकलते । इसपर श्री खुरशेदजी देसाई सूचित करते हैं कि यह खबर बिलकुल झूठी है। वहाँके भारतीय फेरीवाले बिना परवाना (लाइसेंस) अपना व्यापार कर रहे हैं ।

नये कानूनके विषय में

आजसे नया कानून लागू हो गया है । अब उसके अनुसार पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) करानेके बारेमें नोटिस निकाला जायेगा । कहा जाता है कि नोटिसमें ३० नवम्बर तक की मीयाद दी जायेगी । तबतक ट्रान्सवालमें रहनेवाले भारतीयोंको अनुमतिपत्र (परमिट) ले लेने चाहिए । इस विषय में [ ध्यान देने योग्य बात यह है कि ] जो लोग अभी उपनिवेश से बाहर हैं और जिनके पास पीला अनुमतिपत्र नहीं है, उन्हें एक वर्षके भीतर प्रार्थनापत्र देना है । परन्तु, स्मरणीय है कि इन दोनों तरहके लोगोंको फिलहाल कुछ नहीं करना है । उतावलीकी जरूरत नहीं है । जबतक समझौता नहीं हो जाता, तबतक इस कानूनका लाभ लेना बिल्कुल मुनासिब नहीं है। इसके लिए अभी से अनुमतिपत्र कार्यालयपर धरना देनेकी जरूरत होगी । यदि ऐसा किया जाये और परवाने न लिये जायें, तो समाधान तुरन्त हो जायेगा ।