पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/१५९

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जाता है। सन् जोड़े सन् कपड़े थे०-जिस प्रकार एक एक धागे के ताने-बाने से कपड़ा तैयार हो जाता है वैसे ही व्यक्तिगत आत्माओं का सामुहिक रूप ईश्वर है। इसलिए जो मूर्ख नहीं है, जानने वाले हैं, उनके लिए ईश्वर ही अपना अभीष्ट सौदा (खरीदने की वस्तु) है। चचोलों-गप्प की बात। दलील-तर्क। आचरण की सभ्यता ज्योतिष्मिती-प्रकाशवाली। उन्मदिष्णु-पागल, मतवालाज् अश्रुत पूर्व अद्भूत