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पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/८७

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कन्या-दान being even to God is love." -Victor Hugo सीता ने बारह वर्ष का वनवास कबूल किया; महलों में रहना न कबूल किया । दमयन्ती जंगल जंगल नल के लिये रोती फिरी । सावित्री ने प्रेम के बल से यम को जीतकर अपने पति को वापस लिया। गांधारी ने सारी उम्र अपनी आँखों पर पट्टी बाँधकर बिता दी। ब्राह्म-समाज के महात्मा भाई प्रतापचन्द्र मजूमदार अपने अमरीका के “लौवल लेकचर” में कन्यादान के असर को, जो उनके दिल पर हुआ था, अमरीका-निवासियों के सम्मुख इस तरह प्रकट करते हैं :- "यदि कुल संसार की स्त्रियाँ एक तरफ खड़ी हों और मेरी अपढ़ प्रियतमा पत्नी दूसरी तरफ खड़ी हो तो मैं अपनी पत्नी ही की तरफ दौड़ जाऊँगा ।" ऋषि लोग सँदेसा भेजते हैं कि इस आदर्श का पूर्ण अनुभव से पालन करने में कुल जगत् का कल्याण होगा । हे भारतवासियो ! इस यज्ञ के माहात्म्य का आध्यात्मिक पवित्रता से अनुभव करो । इस यज्ञ में देवी और देवताओं को निमंत्रित करने की शक्ति प्राप्त करो । विवाह को मखौल न जानो । यज्ञ का खेल न करो । झूठी खुदगर्जी की खातिर इस श्रादर्श को मटियामेट न करो । कुल जगत के कल्याण को सोचो । प्रकाशन काल-आश्विन संवत् १६६६ वि० अक्टूबर सन् १९०६ ई० r -समस्त सृष्टि का एक भूत में परिणत हो जाना तथा उस एक भूत का देवत्व में विकास पाना ही प्रेम है। विक्टर ह्य गो