पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/९७

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पवित्रता दूध छोटा है । ज़रा अपनी लम्बाई को कम करके जाना पड़ेगा । सर झुकाकर अन्दर घुसना पड़ेगा। इसके अन्दर क्या प्रभुज्योति से चमकती हुई एक देवी बैठी है। उसने मुझे नहीं देखा और न अापको । बैठ जाइए, इसकी गोद में एक छः महोने का, चाँद से मुखवाला बालक जिसके सफ़ेद २ कपोलों पर काले बाल लिपट रहे हैं । यह बच्चा पीते २ सो गया है । यह विद्या सुन्दरता से भूषित–सुन्दरी, इस अमूल्य बालक की माता है । अपने अत्यन्त प्रेम को दिल से बहा २ कर अांखों द्वारा इस सोते बालक पर सफेद ज्योति की किरणों के समान बारिस कर रही है। इस प्रेम नूर की झड़ी साफ बरसती प्रतीत होतो है । यह मरी और क्राइस्ट है, इस मरी ने घर २ अवतार लिया है । घर २ यह अमूल्य ईसा इस तरह अपनी मा की गोद में सोया है । रफील (Raphael) जैसे वैद्य, और सर्वकलासंयुक्त चित्रकारों ने अपने सर्वस्व को इस चित्र को पवित्रता के चिन्तन में हवन कर दिया है। श्रायु इसकी प्रशंसा करते २ व्यतीत कर दी । माता की इस पवित्रता स्वरूप निगाह, ध्यान करते २ मातावत् पवित्र हृदय हो गई। माता के इस रूप में लाखों पुरुषों ने जीवन का बपतिस्मा लिया, इस चित्र के नीचे लिखा है “पवित्रता का नमूना” पाठक ! मेरे लेख में आगे क्या धरा है ! जरा अपना बिस्तर खोल दो, जल्दी पढ़ने को मत करो। इस झोपड़ी में दिन रात रहो तो सही ? हो सके तौ और कहाँ जाना है ? इस देवी के चरणों में बैठ जात्रो। इस पवित्र भाव की रज को अपने अन्दर के शरीर पर लगाओ। अपने मन को यही विभूति लगा लो । शिवरूप हो जाओगे ? ( Medomia Christ) मरियम और उसके बच्चों की तस्वीर को हज़ार बार देखा होगा । परन्तु अब बैठ जायो । हर झोंपड़ी के अन्दर देखो कौन बैठा है ? () यह मरी का लाइला बच्चा माँ का दूध पी, माँ का अत्यन्त प्रेम पान करके जवान हो गया। लटा इसके कन्धों पर लटक ६७