पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२६०

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      • इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * * *

यवनराजवंशावली। नाव्य-शास्त्र। (मेला-मुंगी देवीप्रसादजी मुंसिफ). (मेला–परित महारप्रसादजी नियो) रोटी होने पर भी पुस्तक पड़े काम की है। इस मुख्य ।) चार माने पुस्तक से पाप को यह बात पिदित हो जायगी कि मारतवप में मुसलमानों का पदार्पण कब से हमा। मारक से सम्पम्प रखनेषारो-पक, स्परूपक, किस किस वादशाह मे वितम दिन तक कहाँ कही पात्र कम्पमा, भाषा, रघनाचातुर्य, वृत्तियो, प्रल- राज्य किया पर यह मी किन पादशाह किस सन् कार, लक्षण, जवनिका, परदे, घेशभूषा, हश्य काम संवद मेरमा। यही नहीं बल्कि बादशाही की मध्य का कालयिभाग मादि-अनेक पातो का पर्वम इस मुल्य मीषन-पटमायो का भी इसमें किया गया पुस्तक में किया गया है । हिम्मी-प्रमियों को पार है।हिदीवार पर विशेष कर इतिहास-प्रेमियों के विशेषकर उम समनी को, जो माटकमम्पतियाँ लिप यह पुस्तक परम उपयोगी है। मूल्य सापित करके अच्छे अच्छे माटको द्वारा देश में सुधि का बीमारोपण कर रहे हैं, यह माट्य-शान विक्रमाङ्कदेवचरितवी । प्रपश्य ही देखना चाहिए । __ यह पुस्तक सरस्वती-सम्मादक पणित महावीर- लहकों का खेल | प्रसाद द्विवेदी भी की लिखी है। पिदण कथि- रचित 'यिकमाषचरित' काष्य की यह पामोधमा (पही किताब) है। इसमें विक्रमानव का सीवनचरित भी है और ऐसी किताब हिम्दी में भाग तक कहाँ पीदी । मिहिए-कयि की कविता के मममे भी जहां तहां नहीं।समें कोई चित्र है। हिन्दी पढ़ने के लिए दिपेपमके सिपा इसमें विटण-कायि का भी वालकी के बड़े काम की किताब है। जैसा की 3 संक्षिप्त ग्रीषनवरित लिया गया है। पुस्तक पदमे मिळाड़ो बालक क्यो म ही पीर कितमा ही पढ़मे से पाम्य है । मुस्य) मी घुपसा हो तो भी यह इस किताव से हिन्दी पढ़ना ॥ भाषातों की प्रारम्भिक चिकित्सा ।। लियाना बात अल सीख सकता है। मूल्या । [गम पम्नवाल मारक पुस्तकाat ..] खेलतमाशा। अब किसी प्रादमी के चोट लग जाती पीर ____ यह भी हिन्दी पढ़नेवासे बालकों के लिए भी । परीरकी कांहीट नाती है सब उसको पड़ा मा..

मने की किताब है। इसमै सुम्पर सुपर तस.

कर देता है। मानाकर महीही यहां पर भी पीरी के साप साय गप पीर पप भाषा लिखी गई वित होती है। इन्हीं सब बातो सोचकर ही है। इसे बालकबसाय से पढ़कर यार करते सब दिक्तो के पूर करने के लिए, हमने यह पुस्तक ९ । पढ़ने का पदमा और पेट का खेल है । मूम्प a! प्रकाशित की है। इसमें सब प्रकार की पारी की हिन्दी का खिलौना। प्रारम्भिक पिस्सिा , भाषा की मिविरसा और इस पुस्तक को लेकर बासक.सशी के मारे रुदने पर षिपचिपिस्सा का विस्तार से पर्यन किया गया लगते हैं और पढ़ने का हा इतमाशाहो माता स पुस्तक में मापाती के अनुसार शरीर के कि घर के प्रादमी ममा करते है पर ये किताब हाप मित्र मिष गौ की १५ तसबीर भी छाप कर लगा से रखतेरी महो।सीखिए, अपने प्यारेगा के टिप दी। पुस्तक बड़े काम की है। मूल्य 1) एक खिलाना तो असर ही दीजिए । मूल्य पुस्तक मिलने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग।