पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६२९

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सरस्वती। यहने कमी निप्पुग्ता मेरे ऊपर की, जो मेरी यादण गया। फिर भी उकि-मापुति प्यारी रियाका ने नष्ट कर दिया ! रामा योगिराज को पापयामन देने सगा! हलना का कर दागिराम की ओर से रोने पार पद पोला-रामदाराज, में मापसीटी रिझाने लगे। इस पर सबलोग उनके पास गये। के बदले गफ और उसमे प्रकरण मेग्न गमा में भी उनका विम्ाप सुन कर, उनकी ओर है।कदिए, सोने, पौवी, या निमपातु अपनी हरि फरी । उनक, करमामय रोदम की सुन मंगाई माय! । . फर पर अपना माफ, भूल सा गया पर उनको मागिराज-मेरी इंडिया में प्रम र पारपासन देने के लिए उनके पास पहुँचा | मिटेगी ? उसके समान मगर, मुरा राजा योगा- रुति, मुहमति दूसरी है। दीना सम्म गमावागिगम. धीगड धरो। रामा-यागिन्- . . .. गागिगड-कैमे धीरज पर । दूर दूर देशी पविकतरप्रियमेनममेति परिन मनुमपस में परिभ्रमण करते समय सा सदा मेरे साथ रवी मनमनपेशिताला गापERE । धी पार जिसमें अनेक सागुया पे, हाय हाय! भाज इस प्रकार, रामा योग्परा को तयार पही फुट गई! स्पदेश फर समझाने लगा । परम्मु. गजा-महाराज, पेमी भुत पस्नु के दृट जाने माना। प्रन्यन्य प्रीतामा कर पायो पर पाप क्यों इतना शोक करत? "#Tस प्रापों से भी प्यारी हरिया। योगिगस प्रासमा फर) तुमसेफठोरदय को महीं सद मनाम भी वारी के। सार को जो पंसी कलिया-फर बात कह रहे हो। जान प्राण-स्याग करूंगा, जिससे सगामी सम्म पताल.मरी प्यारी हैटिया में गाभुत गुण या फिर म मिले"। उनमे तुम मिटान्न अभिम हो। गजा सेम हा गया । वाम प्रमा-मदारमन् , माला उसमें ऐसे काम से पद कहने मगा- . गुगी ! प्रदी, माद कमा प्रनयंमारी पागिराम-- 'केपनी जमीम पाग पानुनमा गाप.. घटमा दुख भरती है. जिम में मम ममममा विमपि । निमय माण- पार गुना री गाणीया मारin Twry art frier पिासून पास- पागरात पार कमी पारादी पोररी पारिल मालपो . गसापादिता की परा रमेका म. प गाराम' मंने मी उसे भूमि पर फटारिया पार हमी मे पाना मुगदीगमा antar पापात्परगा। जामनेर मीया महा- गिरा पदाता में "महा! मापसे गर्प पारी ॥ भीतर पुन गया। गर्मी indine पा मा म सामान मेn. ममी पेट गामें मापा र न रपरा " .