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सर्वोदय
से स्थायी-शक्ति लग रही हो और दूसरी ओर से आकस्मिक शक्ति तो हम पहले स्थायी-शक्ति का अन्दाजा लगायेगे, बाद को आकस्मिक का। दोनो का अन्दाजा मिल जाने पर हम उस वस्तु की गति का निश्चय कर सकेगे। हम ऐसा इसलिए कर सकेगे कि आकस्मिक और स्थायी दोनो शक्तियाॅ एक प्रकर की है, परन्तु मानव-व्यवहार मे लेन-देन के स्थायी नियम की शक्ति और पारस्परिक भावना रूपी आत्मिक शक्ति दोनो भिन्न-भिन्न प्रकार की है। भावना का असर दूसरे ही प्रकार का, दूसरी ही तरह से पडता है, जिससे मनुष्य का रूप ही बदल जाता है। इसलिए वस्तु-विशेष की गति पर पडने वाले भिन्न-भिन्न शक्तियो के असर का हिसाब जिस तरह हम साधारण जोड बाकी के नियम से लगाते है उस तरह भावना के प्रभाव का हिसाब नही लगा सकते। मनुष्य की भावना के प्रभाव की जांच-पड़ताल करने