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सर्वोदय


मिलता है तब उन्हें ऊँची तनख्वाह मांगनी ही पडती है,किन्तु यदि्‌ उन्हे किसी तरह यह विश्वास हो जाय कि उनकी नौकरी आजीवन चलती रहेगी तो वह बहुत थोडी तनख्वाह मे काम करेगे। इस तरह यह स्पष्ट हैकि जो मालिक अपने कर्मचारियों को स्थायी रूप से नौकर रखता हैउसे अन्त मे लाभ ही होता है ओर जो आदमी स्थायी नौकरी करते है उन्हे भी लाभ होता है। ऐसे कारखानों मे ज्यादा नफा नहीं हो सकता। वह्‌ कोई बडा जोखिम नहीं ले सकते। भारी प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। सिपाही सेनापति के खातिर मरने को तैयार होता हैं और सिपाहिगिरी साधारण मजदूरी के पेशे से ज्यादा इज्जत की चीज मानी गई है। सच पृछिए तो सिपाही का काम कत्ल करने का नहीं, बल्कि दूसरो की रक्षा करते हुए खुद कत्ल हो जाने का है। जो सिपाही बनता है वह अपनी जान अपने राज्य को सौप देता है। यही बात