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अदल इन्साफ़।

कम काम मिलता है तो हम उसे उसकी मेहनत का कम बदला देते हैं ज़्यादा मिले तो ज्यादा देते हैं।

एक आदमी को एक मजदूर की आवश्यकता है पर दो आदमी उसका काम करने को तैयार हो जाते हैं। अब जो आदमी कम मजदुरी माँगे उससे काम लिया जाय तो इसे कम मजदूरी मिलेगी। यदि अधिक आदमियों को मजदूर की आवश्यकता हो और मजदूर एक हो तो उसे मुँह-मांगी उजरत मिल जायगी और वह प्रायः जितनी होनी चाहिए उससे अधिक होगी। इन दोनों के बीच की दर उचित मजदूरी कही जायगी।

कोई आदमी मुझे कुछ रुपये उधार दे और उन्हें मैं उसे किसी विशेष अवधि के बाद लौटाना चाहूँ तो मुझे उस आदमी को ब्याज देना होगा। इसी तरह यदि आज कोई मेरे लिए मेहनत करें तो मुझे उस आदमी को