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सर्वोदय

उतना ही नहीं, बल्कि व्याज के तौर पर कुछ अधिक परिश्रम देना चाहिए। आज मेरे लिए कोई एक घण्टा काम करदे तो मुझे उसके लिए एक घण्टा और पांच मिनट या इससे अधिक काम कर देने का वचन देना चाहिए। यही बात प्रत्येक मजदूर के विषय में समझनी चाहिए।

अब अगर मेरे पास दो मजदूर आये और उनमें से जो कम ले उसे मैं काम पर लगाऊँ तो फल यह होगा कि जिससे मैं काम लूँगा उसे तो आधे पेट रहना होगा और जो बेरोजगार रहेगा वह पूरा उपवास करेगा। मैं जिस मजदूर को रक्खू उसे पूरी मजदूरी दूँ तब भी दूसरा मजदूर तो बेकार ही रहेगा। फिर भी जिसे मैं काम में लगाऊँगा उसे भूखों न मरना होगा ओर यह समझा जायगा कि मैंने अपने रुपये का उचित उपयोग किया। सच पूछिये तो लोगों के भूखों मरने की अवस्था तभी उत्पन्न होती है जब मजदूरों को कम