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सर्वोदय

नाश होने की सम्भावना रहती है। नियम तो यह होना चाहिए कि हरेक आदमी को उसकी योग्यता के अनुसार मजदूरी मिला करे। इसमें भी प्रतिस्पर्द्धा होगी, पर इस प्रतिस्पर्द्धा के फलस्वरूप लोग सुखी और चतुर होगे। क्योकि फिर काम पाने के लिए अपनी दर घटाने की जरूरत न होगी, बल्कि अपनी कार्यकुशलता बढ़ानी होगी। इसलिए लोग सरकारी नौकरी पाने के लिए उत्सुक रहते है। वहाँ दरजे के अनुसार तनख्वाह स्थिर होती है, प्रतिस्पर्द्धा केवल कुशलता में रहती हैं। नौकरी के लिए दरखास्त देने वाला कम तनख्वाह लेने की बात नहीं कहता, किन्तु यह दिखाता है कि उसमें दूसरों की अपेक्षा अधिक कुशलता है। फौज और जल सेना की नौकरियों में भी इसी नियम का पालन किया जाता है और इसलिए प्राय ऐसे विभागों में गड़बड़ और अनीति कम दिखाई देती है। व्यापारियों में ही दूषित प्रतिस्पर्द्धा