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सर्वोदय

करनेवाले बहुतेरे मिलते है, पर उसका यथाविधि उपयोग करने वाले कम मिलते है। जिस धन को पैदा करने में जनता तबाह होती हो वह धन निकम्मा है। आज जो लोग करोड़पति है वे बड़े-बड़े और अनीतिमय संग्रामों के कारण करोड़पति हुए है। वर्त्तमान युग के अधिकांश युद्धों का मूल कारण धन का लोभ ही दिखाई देता है।

लोग यह कहते हुए दिखाई देते है कि दूसरों को सुधारना, ज्ञान देना असम्भव है, इसलिए जिस तरह ठीक मालूम हो उस तरह रहना और धन बटोरना चाहिए। ऐसा करने वाले स्वयं नीति का पालन नहीं करते। क्योकि जो आदमी नीति का पालन करता है और लोभ से नहीं पड़ता वह पहले तो अपने मन को स्थिर रखता है, वह स्वयं सन्मार्ग से विचलित नही होता और अपने कार्य से ही दूसरों पर प्रभाव डालता है। जिनसे समाज बना है वह स्वयं जब