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सत्य क्या है?

तक नैतिक नियमों का पालन न करें तब तक समाज नीतिवान कैसे हो सकता है? हम खुद तो मनमाना आचरण करे और पड़ोसी का अनीति के कारण उसके दोष निकाले तो इसका परिणाम कैसे हो सकता है?

इस प्रकार विचार करने से हम देख सकते हे कि धन साधन मात्र है और इससे सुख तथा दुःख दोनों हो सकते है। यदि यह अच्छे मनुष्य के हाथ में पड़ता है तो उसकी बदौलत खेती होती है और अन्न पैदा होता है, किसान निर्दोष मजदूरी करके सन्तोष पाते हैं और राष्ट्र सुखी होता है। ख़राब मनुष्य के हाथ में धन पड़ने से उसमें (मान लीजिए कि) गोले बारूद बनते हैं और लोगों का सर्वनाश साबित होता है। गोला बनाने वाला राष्ट्र और जिस राष्ट्र पर उनका व्यवहार होता है ये दोनों हानि उठाते और दुःख पाते हैं।

इस तरह हम देख सकते हैं कि सच्चा आदमी