पृष्ठ:सर्वोदय Sarvodaya, by M. K. Gandhi.pdf/७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६७
उपसंहार

से क्या फल होगा, यह सभी ज्ञान सकते हैं। उनपर किसी ऐसे मनुष्य का अधिकार हो जो स्वच लुटेरा न हो, तभी वह अन्न में सुखी हो सकता है। अमेरीका, फ्रान्स, निदरलेण्ड ये सभी बड़े-बड़े राज्य हैं; पर यह मानने के लिए कोई आधार नहीं है कि वे सचमुच सुखी हैं।

स्वराज्य का वास्तविक अर्थ है अपने ऊपर रख सकता। यह वही मनुष्य कर सकता है जो स्वयं नीति का पालन करता है, दूसरों को धोखा नहीं देता—माना-पिता, स्त्री, बच्चे, नौकर-चाकर, पड़ोसी—सबके प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन करता है। ऐसा मनुष्य चाहे जिगस देश में हो, फिर भी स्वराज्य ही भोग रहा है। जिस राष्ट्र से ऐसे मनुष्यों की संख्या अधिक हो उसे स्वराज्य मिला हुआ ही समझना चाहिए।

एक राष्ट्र का दूसरे राष्ट्र पर शासन करना साधारणतः बुरा कहा जा सकता है। अंग्रेजों