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सर्वोदय

कदापि न हो। यूरोप के राष्ट्र एक दूसरे पर घात लगाये बैठे है। केवल अपनी तैयारी में लगे होने के ही कारण सब शान्त है। किसी समय जोरों की आग लगेगी तब यूरोप में नरक ही दिखाई देगा।[१] यूरोप का प्रत्येक राज्य काले आदमियों को अपना भक्ष्य मान बैठा है। जहाँ केवल धन का ही लोभ है वहाँ कुछ और हो ही कैसे सकता है? उन्हें यदि एक भी देश दिखाई देता है, तो वह उसी तरह उस पर टूट पड़ते हैं जिस तरह चील और‌ कौवे मांस पर टूटते है। यह सब उनके कारखानों के ही कारण होता है, यह मानने के लिए‌ हमारे पास कारण है।

अन्त में भारत को स्वराज्य मिले, यह समस्त भारतवासियों की पुकार है और यह उचित ही


  1. सन् १९१४ में महासमर की आग लगने पर यह भविष्यवाणी सत्य प्रमाणित हो चुकी है।